लखनऊ 31 अगस्त: उतर प्रदेश के वज़ीर मुहम्मद आज़म ख़ां के बाज़ रिमार्कस बज़ाहिर वज़ीर-ए-आज़म नरेंद्र मोदी के ख़िलाफ़ थे असेंबली में शोर गुल और हंगामा-आराई का सबब बन गए जबकि ग़ैर शाइस्ता तबसरों को रिकार्ड से हज़फ़ कर देने के मुतालिबे पर बीजेपी अरकान के एहतेजाज से ऐवान में बदनज़मी पैदा होजाने पर मुख़्तसर वक़फे के लिए कार्रवाई मुल्तवी कर दी गई।
अमन-ओ-क़ानून की सूरत-ए-हाल पर मबाहिस के दौरान आज़म ख़ान ने इशारों और किनाइयों में नरेंद्र मोदी का हवाला दिया और कहा कि ये एक सितम ज़रीफ़ी है कि मुल्क का बादशाह ( हुकमरान) अपनी माँ को साथ नहीं रखा और दुश्मन की माँ को तोहफ़ा पेश करने के लिए चले गए, वो बेटी बचाओ की बात तो करते हैं लेकिन अपनी बीवी को बेसहारा छोड़ दिया।
रियासती वज़ीर-ए-पार्लीमानी उमोर का ये तबसरा बज़ाहिर नरेंद्र मोदी की तरफ़ था जिन्हों ने पाकिस्तानी हम मन्सब नवाज़ शरीफ़ की वालिदा के लिए एक शाल तोहफे में पेश की थी जबकि पाकिस्तानी वज़ीर-ए-आज़म ने साल 2014 में मोदी की तक़रीब हलफ़ बर्दारी में शिरकत की।
नरेंद्र मोदी ने शरीफ़ की माँ को एक साड़ी भी रवाना की थी। बीजेपी अरकान इस तबसरे पर एतराज़ करते हुए ऐवान के वस्त में पहुंच गए और स्पीकर से ये मुतालिबा किया कि रिकार्ड से ग़ैर शाइस्ता अलफ़ाज़ हज़फ़ कर दें वज़ीर मौसूफ़ ने कहा कि मुल्क के अवाम ये जानकारी चाहते हैं कि इसवक़्त में कमरे में कौन कोने थे जब बादशाह सालगिरह की मुबारकबाद ( पाकिस्तान में नवाज़ शरीफ़ को ) पेश कर रहे थे।
उन्होंने कहा कि अगर हेल्पलाइन फ़ौरी मुतहर्रिक होती तो ये वाक़िया टाला जा सकता था।वाज़िह रहे कि बुलंदशहर के वाक़िये को सियासी साज़िश क़रार देते हुए आज़म ख़ां तनाज़ा में फंस गए हैं और सुप्रीमकोर्ट ने एक अर्ज़ी पर मुतनाज़ा वज़ीर और रियासती हुकूमत से जवाबतलब किया जिसमें बुलंदशहर वाक़िये की तहक़ीक़ात और केस की समाअत रियासत के बाहर करवाने की गुज़ारिश की गई है।