सितंबर 11: रावलपिंडी में एक चुनावी सभा के दौरान हुए हमले में बनेज़ीर की मौत हो गई थी.
पाकिस्तान की पूर्व प्रधानमंत्री बेनज़ारी भुट्टो की हत्या की जाँच कर रही संघीय जाँच एजेंसी ने अमरीकी नागरिक मार्क सेगल के बयान को मुक़दमे का हिस्सा बना लिया है.
संघीय जाँच एजेंसी ने मार्क सेगल का बयान रावलपिंडी की आतंकवाद निरोधक अदालत में पेश कर दिया है जहाँ मुक़दमे की सुनवाई हो रही है.
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पुलिस ने इस मुक़दमे में दो वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों सहित सात लोगों को गिरफ़्तार किया था और बाद में पुलिस अधिकारियों को ज़मानत पर रिहा कर दिया गया.
इस मुक़दमे की सुनवाई पिछले तीन साल से रावलपिंडी की आतंकवाद निरोधक अदालत में हो रही है.
‘मुशर्रफ़ की धमकी’
अमरीकी नागरिक मार्क सेगल ने अपने बयान में दावा किया है कि उनकी उपस्थिति में पूर्व राष्ट्रपति जनरल परवेज़ मुशर्रफ़ का बेनज़ीर भुट्टो को फ़ोन आया था जिसमें उन्होंने बेनज़ीर से कहा था कि वह 2008 के चुनाव से पहले पाकिस्तान वापस न आएँ वर्ना उनके जीवन की कोई ज़मानत नहीं दी जा सकती.
मार्क सेगल, अमरीकी नागरिक”मेरी उपस्थिति में परवेज़ मुशर्रफ़ का बेनज़ीर को फ़ोन आया था जिसमें उन्होंने बेनज़ीर से कहा था कि वह 2008 के चुनाव से पहले पाकिस्तान वापस न आएँ वर्ना उनके जीवन की कोई ज़मानत नहीं दी जा सकती.”
उन्होंने अपने बयान में यह भी बताया है कि मुशर्रफ़ से फ़ोन पर बात करने के बाद बेनज़ीर भुट्टो काफ़ी परेशान हो गई थीं.
मार्क सेगल के मुताबिक़ जब उन्होंने बेनज़ीर से पूछा कि किस का फ़ोन था तो उन्होंने जवाब दिया कि मुशर्रफ़ का और काफ़ी धमकी वाला लहज़ा था और पाकिस्तान न आने के बारे में कह रहे थे.
मुक़दमे की जाँच कर रहे दल के प्रमुख ख़ालिद क़ुरैशी ने अदालत में यह बयान पेश किया और बताया कि संघीय जाँच एजेंसी का एक अधिकारी अमरीकी नागरिक मार्क सेगल का बयान रिकॉर्ड करने अमरीका गया था.
उन्होंने कहा कि अदालत जब चाहे उन्हें बतौर गवाह पेश होने का आदेश दे सकती है और उनके मुताबिक़ मार्क सेगल अदालत में पेश होने केलिए तैयार हैं.
मार्क सेगल अमरीकी समाचार पत्रों में लिखते रहते हैं और वह बेनज़ीर भुट्टो के काफ़ी करीबी माने जाते थे.
ग़ौरतलब है कि बनेज़ीर भुट्टो 18 अक्तूबर 2007 को पाकिस्तान लौटी थीं और कराची में उनके काफ़िले पर आत्मघाती हमला हुआ था जिसमें 150 से अधिक लोग मारे गए थे.
बनेज़ीर भुट्टो ने पाकिस्तान आने से पहले मार्क सेगल को ईमेल लिखी थी जिसमें उन्होंने कहा था कि अगर उन पर हमला हुआ तो उसकी पूरी ज़िम्मेदारी परवेज़ मुशर्रफ़ पर होगी.
27 दिसंबर 2007 को रावलपिंडी में एक चुनावी सभा के बाद हुए आत्मघाती हमले में बेनज़ीर भुट्टो की मौत हो गई थी.