बेनामी खातों के ज़रीये स्कालरशिप रक़ूमात का ग़बन

हैदराबाद 25 अप्रैल: अकलेती मालीयाती कारपोरेशन अभी एक बड़े स्क़ाम से उभर भी नहीं पाया था कि एक और स्क़ाम मंज़रे आम पर आया ।

मर्कज़ी हुकूमत की तरफ से अकलेती तलबा को मंज़ूर करदा प्रे मेट्रिक स्कालरशिपस के चेक्स को बेनामी एकाउंट्स खोल कर रक़ूमात निकालने का स्क़ाम हैदराबाद में सम्ने आया जिस में फाइनेंस कारपोरेशन का एक अटेंडर और बैंकों में मुख़्तलिफ़ सकिमात पर काम् करने वाला शफ़ी नामी एक शख़्स मुलव्वस पाया गया।

कमिशनर अकलेती बहबूद-ओ-मैनेजिंग डायरेक्टर अकलेती मालीयाती कारपोरेशन एम ए वहीद ने इस स्क़ाम का पता चलते ही फ़ौरी कार्रवाई करते हुए उसे बड़े स्क़ाम में तब्दील होने से रोक लिया और मुल्ज़िमीन को पुलिस के हवाले करदिया गया ।

बताया जाता है कि इन मुल्ज़िमीन ने तलबा-ए-के प्रे मेट्रिक स्कालरशिपस से मुताल्लिक़ 34 चेक्स बहादुर पूरा और शाहअली बंडा में वाक़्ये सिंडीकेट बैंक की ब्रांचस में फ़र्ज़ी नामों से एकाउंट्स खोल कर एक लाख 18 हज़ार रुपये की रक़म निकाल ली।

ये चेक ज़िला नलगेंडा को रवाना किए गए लेकिन बिछ में ही उन्हें ग़ायब करदिया गया। एम ए वहीद ने बताया कि मर्कज़ी प्रे मेट्रिक स्कालरशिप 2011-12 के तहत इंडियन बैंक नारायणगुड़ा के ज़रीये अकलेती फाइनेंस कारपोरेशन को 793 चेक मौसूल हुए थे जिन्हें ज़िला नलगेंडा रवाना करना था।

क़वाइद के मुताबिक़ ज़िला कलैक्टर के ज़रीये चेक्स की तलबा में तक़सीम का फैसला किया गया लिहाज़ा ये चेक ज़िला को रवाना किए गए लेकिन दरमियान में 120 चेक्स ग़ायब कर दिए गए जो कि फ़ी चेक एक ता पाँच हज़ार रुपये की स्कालरशिपस की रक़म पर मुश्तमिल थे।

उन्हों ने बताया कि फ़ैइनेंस कारपोरेशन में पिछ्ले पाँच बरसों से आउट सोर्ससिंग पर अटेंडर की हैसियत से ख़िदमात अंजाम देने वाले शंकर ने मिस्री गंज के साकन शफ़ी की मिली भगत से ये स्क़ाम किया और बहादुर पूरा और शाह अली बंडा के सिंडीकेट बैंक ब्रांचस में फ़र्ज़ी नामों से एकाउंट्स खोले गए और एक लाख 18 हज़ार रुपये की रक़म हासिल करली गई ।

एम ए वहीद ने बताया कि सिर्फ़ 120 चेक्स में 34 चेक्स की रक़म ही ग़ायब हुई है जबके माबकी चेक्स महफ़ूज़ हैं। 24 डसमबर 2012 को इन चेक्स के ग़ायब होजाने का इलम हुआ था जिस के बाद फ़ैइनेंस कारपोरेशन ने इंडियन बैंक नारायणगुड़ा ब्रांच को मकतूब रवाना करते हुए इन 120 चेक्स की अदाएगी रोक देने की ख़ाहिश की थी लेकिन ब्रांच अपनी ज़िम्मेदारी अदा करने में नाकाम साबित हुआ।

उन्हों ने बताया कि फ़र्ज़ी एकाउंट्स के ज़रीये रक़ूमात जारी करने से मुताल्लिक़ जब सिंडीकेट बैंक की ब्रांचस से दरयाफ़त किया गया तो उन्हों ने ब्रोकर शफ़ी को पुलिस के हवाले किया।