बेनी ने चार साल में दी कांग्रेस छोड़ने की धमकी

नई दिल्ली, 5 जुलाई: मुलायम सिंह यादव से तमाम शिकायतों के बाद भी बेनी प्रसाद वर्मा को उनका साथ छोड़ने में 34 साल लग गये, लेकिन कांग्रेस को तो उन्होंने चार साल में ही पार्टी छोड़ने की धमकी दे दी। इतने कम वक्त में ही वे पार्टी के ‘चाल‍ और किरदार ‘ से खुद की तौहीन महसूस करने लगे हैं। वह भी मुलायम सिंह यादव की वजह से, जो मरकज़ी हुकूमत को मुसीबत में उसकी मदद करते हैं। बेनी ने दो टूक कहा, ‘मुलायम के खिलाफ बोलने से रोका गया तो वह मरक्ज़ में वज़ीर का ओहदा ही नहीं, बल्कि कांग्रेस को भी छोड़ देंगे’।

महज चार साल पहले सपा छोड़ कांग्रेसी हुए और उसकी बदौलत ही Union Steel Minister बने बेनी प्रसाद वर्मा ने जुमेरात को दिल्ली में यहां तक कह दिया, ‘मुलायम और सपा के खिलाफ हमें बोलने में जो भी रोड़ा बनेगा, वह कितनी भी बड़ी ताकत हो, मैं उससे भी लड़ सकता हूं।

मेरे बोलने पर पार्टी में जिस तरह की बातें होती हैं, मैं उससे तौहीन महसूस करता हूं। जब चाहे पार्टी छोड़ सकता हूं, लेकिन सोनिया गांधी के अच्छे बरताव की वजह से अब तक रुका हुआ हूं’।

बेनी की धमकी को कांग्रेस ही नहीं, बल्कि दूसरे सियासी हल्कों में उनके आइंदा मुम्किना सियासी कदम से जोड़कर देखा जा रहा है। खुद कांग्रेस के लीडर भी इस बात से हैरत में हैं कि गुजश्ता नौ साल में कई मौकों पर सपा की तरफ से मरकज़ी हुकूमत को जरूरी मदद के बावजूद आखिर बेनी मुलायम से निजी खुन्नस निकालने पर क्यों आमादा हैं?

एक लीडर ने कहा भी, ‘उनकी सोच जाबदारी नहीं है। उनका झुकाव किसी और पार्टी की तरफ भी है’। इस बीच, कयास लगाए जाने लगे हैं कि उन्होंने अपने नए सियासी ठिकाने की तलाश कर लिए है।

हालाकि, वर्मा के इस कदम को बीते सालों में Steel ministry में उनके कामकाज के तरीके को लेकर उठते रहे सवालों से भी जुड़ा माना जा रहा है। चर्चा यह भी है कि वज़ारत में उनके किये-धरे को लेकर मुस्तकबिल में कोई सवाल उठे, बेनी कांग्रेस व उसकी हुकूमत से खुद ही अलैहदा हो जाना चाहते हैं। यही वजह है कि वह महज मुलायम के खिलाफ अपने बोलने को मुद्दा बना रहे हैं। जबकि, इसके पहले वे मुलायम को दहशतगर्द तक कह चुके हैं।

गौरतलब है कि बेनी ने बीते दिनों कहा था कि मुलायम वज़ीर ए आज़म बनने का ख़्वाब देख रहे हैं, जबकि वे वज़ीर ए आज़म के घर में झाड़ू लगाने लायक भी नहीं हैं। इस बयान पर कांग्रेस जनरल सेक्रेटरी व उत्तर प्रदेश के इंचार्ज मधुसूदन मिस्त्री ने बेनी को बुलाकर कड़े लफ्ज़ो में मुस्तकबिल में उन्हें ऐसा अल्फाज़ का इस्तेमाल न करने की हिदायत दी थी। बताते हैं कि कांग्रेस में आने के बाद से अब तक अपने मन के रहे बेनी को पहली मर्तबा ऐसा इंतेबाह मिलना बहुत नागवार गुजरा है।

बशुक्रिया: जागरण