बेन धर्मों वार्ता का उद्देश्य अस्तित्व का बढ़ावा, सहिष्णुता की हिदायत ‘जामिया मिलिया इस्लामिया’ के बैनर तले कार्यक्रम

नई दिल्ली: बेन धर्मों वार्ता का उद्देश्य किसी आस्था और पूजा से छेड़छाड़ नहीं है बल्कि सभी धर्मों वाले अपने विश्वासों और धर्म का पालन करते हुए आपसी संपर्क और संयुक्त समस्याओं को हल करने के लिए, अस्तित्व और सहिष्णुता को बढ़ावा देना और आपस में पाई जाने वाली गलतफहमी को दूर करना है। यह बात ‘अंतर्धार्मिक वार्ता, अस्तित्व और सहिष्णुता’ के परियोजना निदेशक जामिया मिलिया इस्लामिया के इस्लामिक स्टडीज़ विभाग के प्रोफेसर डॉ। जुनैद हैरिस ने कही है। उन्होंने कहा कि भारत दुनिया के लिए एक गहरा उदाहरण देश है अवरीहाँ जितने धार्मिक विश्वासों, धार्मिक व्यवहार और संस्कृति पाए जाते हैं दुनिया के किसी क्षेत्र में ये विविधता नहीं पाया जाता मतभेद भी होते लेकिन एक दूसरे का लिहाज़ भी रखते हैं, चैन की जिंदगी जीते हैं और देश के विकास में सभी योगदान करते हैं।

इस समाज को अधिक कैसे बेहतर बनाया जाए जो दुनिया के लिए अधिक नमूना बन सके यही पूरे परियोजना का उद्देश्य है। दरअसल यहां खमीर में जो शांति है, इसी बहुलवादी समाज का नमूना पेश करना अपने उद्देश्यों में शामिल है। उन्होंने कहा कि इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए परियोजना निदेशक की सोच यह है कि विश्वास और पूजा अविश्वसनीय समझौता स्थानोंत हैं। इस संबंध में हर व्यक्ति अपना मज़हब विश्वास धार्मिक शैली पूजा के लिए आज़ाद है और हर व्यक्ति को इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि जिस तरह वह इस मामले में स्वतंत्र हैं उसी तरह यह अधिकार दूसरों को भी है। मगर विश्वासों के अलावा देश के सभी लोगों की समस्या समान हैं।

विशेष रूप में जामिया मिलिया इस्लामिया के कुलपति प्रोफेसर तलत की रुचि और उनके मार्गदर्शन में बेन धर्मों के कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि इस परियोजना जामिया मिलिया इस्लामिया के उद्देश्य है जो स्थापना उद्देश्यों में अस्तित्व और सहिष्णुता शामिल है।

अब तक उसके दो कार्यक्रम अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय और जामिया मिलिया इस्लामिया में हो चुके हैं और देश भर के विश्वविद्यालयों में किए जाएंगे। जो सभी धर्मों के स्नातक स्तर के छात्रों को ट्रेनिंग दी जा रही है और प्रशिक्षण देने वाले सारे धर्मों के नेता हैं।