फ़्रांस और बेलजीयम में चेहरा छुपाने की हद तक हिजाब पर पाबंदी और ग़ैर रस्मी ड्रेस कोड नाफ़िज़ करने से आजिरों को रोकने में दूसरे योरपी मुल्कों की नाकामी का मतलब ये है कि मुस्लिम ख्वातीन को रोज़गार और तालीम के हक़ से महरूम किया जा रहा है। ये तशवीश इंसानी हुक़ूक़ की पामालियों पर नज़र रखने वाले आलमी इदारे एमन्सिटी इंटरनैशनल ने ज़ाहिर की है।
पूरे यूरोप में मुसलमानों के साथ इम्तियाज़ की मिसालें सामने लाते हुए शरह-ओ-बस्त के साथ मुरत्तिब कर्दा अपनी रिपोर्ट में एमन्सिटी ने कहा है कि मुस्लमान औरतों को चेहरा छिपाने की हद तक हिजाब करने से रोक कर ये हुकूमतें तास्सुब को बढावा दे रही हैं।
एमन्सिटी ने फ़्रांस और बेलजीयम पर ज़ोर दिया कि वो ऐसी पाबंदीयों को ख़तम करें। एमन्सिटी के लिए तहक़ीक़ी रिपोर्ट मुरत्तिब करने वाले मीर को पीर यलोनी ने कहा है कि मुसलमान औरतों को जहां रोज़गार से महरूम किया जा रहा है वहीं मुस्लिम लड़कीयों को उन के रिवायती लिबास की वजह से स्कूलों में दाख़िल होने नहीं दिया जा रहा है।
उन्होंने मज़ीद कहा कि इन तास्सुबात को ख़तम करने की कोशिश करने के बजाय सयासी पार्टीयां और सरकारी ज़िम्मा दारां अपने हल्का-ए-ताईद को बढ़ाने के लिए उन्हें बढ़ावा दे रहे हैं। इंसानी हुक़ूक़ की पामालियों पर नज़र रखने वाले इस इदारे ने ये भी कहा है कि बेल्जियम, फ़्रांस, स्विटजर लैंड और नीदर लैंड जैसे ममालिक आजिरों को मज़हबी मलबूसात पर पाबंदी लगाने वाली पालिसीयां नाफ़िज़ करने से रोकने में भी नाकाम हैं। नीतजे में मुसलमान औरतें सिरों पर आंचल नहीं रख पातीं |