नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने रेप के मामले में मुल्ज़िम नारायण साई को जमानत में सुधार करते हुए कहाकि उनकी वालिदा की सर्जरी की तारीख सामने आने पर ही उन्हें रिहा किया जाए। नारायण साई आसाराम का बेटा है। आसाराम पर भी रेप का इल्ज़ाम है और वह जोधपुर जेल में बंद है। इस मामले पर तब्सिरा करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने साई के वकील से कहा कि, आपका क्लाइंट इतने लोगों को ठीक कर सकता है तो क्या अपनी मां को ठीक नहीं कर सकता।
गुजरात सरकार ने भी साई की जमानत की मुखालिफत की। हुकूमत की ओर से एडिश्नल सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने जस्टिस तीरथ सिंह ठाकुर की सदारत वाली बेंच के सामने दलील दी कि साई को छोड़े जाने पर इंतेज़ामिया कानून का सवाल खड़ा हो सकता है।
उन्होंने कहा कि, बेवकूफ औरतें साई को भगवान कृष्ण की तरह समझती है। साई सिर पर मोर पंख लगाकर कृष्ण बनता हैं और ख्वातीन गोपी बनकर उनके साथ नाचती हैं। उनके हजारों हामी हैं जो हंगामा कर सकते हैं।
इस पर आली अदालत ने तब्सिरा किया कि हम हैरान हैं कि ये सब तरक्की पसंद और तरक्की पज़ीर रियासत गुजरात में हो रहा है, किसी आदिवासी इलाके में नहीं। दरअसल गुजरात हाई कोर्ट ने नारायण साई को मां के इलाज के लिए चार मई से तीन हफ्ते की उबूरी जमान्त दी है।
साथ ही शर्ते भी लगाई हैं कि वह 24 घंटे पुलिस निगरानी में रहेंगे और रहने की जगह और अस्पताल के अलावा कहीं नहीं जाएंगे। इस हुक्म के खिलाफ गुजरात सरकार ने आली अदालत का दरवाजा खटखटाया था और कहा था कि ऑपरेशन के लिए कोई तारीख मुकर्रर नहीं है।
जस्टिस ठाकुर ने मेहता से पूछा कि क्या नारायण साई भी अपने वालिद आसाराम की तरह मशहूर हैं। इस पर एडिश्नल सॉलिसिटर जनरल ने बताया कि खुद को बचाने के लिए साई ने पुलिस इंस्पेक्टर को आठ करोड़ रूपये की घूस की पेशकश की।
यहां तक कि इस मामले के एक अहम गवाह का क़त्ल भी हो चुका है।
काबिल ए जिक्र है कि नारायण साई दिसंबर 2013 से ही सूरत में दो बहनों के साथ बलात्कार के मामले में जेल में बंद हैं।