हकीम अजमल ख़ान या अजमल ख़ान साहब (1868-1927) (1284 Shawwal 17) एक यूनानी चिकित्सक और भारतीय मुस्लिम राष्ट्रवादी राजनेता एवं स्वतंत्रता सेनानी थे। उन्हें बीसवीं शताब्दी के आरम्भ में दिल्ली में तिब्बिया कॉलेज की स्थापना करके भारत में यूनानी चिकित्सा का पुनरुत्थान करने के लिए जाना जाता है और साथ ही एक रसायनज्ञ डॉ॰ सलीमुज्ज़मन सिद्दीकी को सामने लाने का श्रेय भी उन्हीं को जाता है जिनके यूनानी चिकित्सा में उपयोग होने वाले महत्वपूर्ण चिकित्सीय पौधों पर किये गए आगामी शोधों ने इसे एक नई दिशा प्रदान की थी।. वे गाँधी जी के निकट सहयोगी थे। उन्होने असहयोग आन्दोलन (सत्याग्रह) में भाग लिया था, खिलाफत आन्दोलन का नेतृत्व किया था, साथ ही वो भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष भी निर्वाचित हुये थे, तथा 1921 में अहमदाबाद में आयोजित कांग्रेस के सत्र की अध्यक्षता भी की थी।.
वे भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष बनने वाले पांचवें मुस्लिम थे।
वे जामिया इस्लामिया विश्वविद्यालय के संस्थापकों में से एक थे और 1920 में इसके कुलाधिपति बने तथा 1927 में अपनी मृत्यु तक इसी पद पर बने रहे.