बेहतर कारकर्दगी के लिए दबाव‌ था : आफ़रीदी

आलमी शौहरत-ए-याफ़ता ऑल राउंडर शाहिद आफ़रीदी ने कहा है कि 17 साल के दौरान कैरियर में कई उतार चडाव‌ आए।

वेस्ट इंडीज़ के दौरे से पहले मुझ पर दबाव‌ ज़रूर था लेकिन अगर मुश्किल हालात को अपने ऊपर हावी कर लेता तो कामयाबी मुश्किल होजाती है। वो गुजिश्ता रोज़ वेस्ट इंडीज़ से कराची पहुंचने के बाद मीडिया को इंटरव्यू दे रहे थे।

उन्होंने माना कि टीम में मुंतख़ब होने के बाद मुझ पर कारकर्दगी के लिए दबाव‌ था। क्रिकेट में हर मैच ही दबाव में खेला जाता है। ताहम अगर खिलाड़ी दबाव‌ को अपने ऊपर हावी करले तो वो कारकर्दगी नहीं दिखा सकता।

33 साला शाहिद आफ़रीदी ने कहा कि17 साल से दबाव‌ ही में क्रिकेट खेली है लेकिन ख़ुद एतिमादी मेरी कारकर्दगी की किलीद है। दबाव‌ में कारकर्दगी दिखाना मुश्किल ज़रूर होता है लेकिन नामुमकिन नहीं। मुझे अपनी सलाहियतों और भरपूर मेहनत पर यक़ीन था कि में इस मर्तबा अपने नाक़िदीन को ख़ामोश कर दुंगा।

मुझे मेरी अनथक मेहनत का फल मिला जिस पर में अल्लाह का शुक्र गुज़ार हूँ। टीम के साबिक़ कप्तान ने कहा कि मैंने 2015 के वर्ल्ड कप को अपनी फ़ार्म और फ़िटनैस से मशरूत करते हुए निशाना मुक़र्रर करलिया है। मेरा वर्ल्ड कप में यही हदफ़ है।

दौरे से क़बल लाहौर में जो मेहनत की थी उस का सिला मिला और मैंने फ़ुतूहात में किरदार अदा किया। शाहिद आफ़रीदी ने कहा कि लाहौर में खिलाड़ियों के लिए पराक्टिस और ट्रेनिंग के लिए बेहतरीन सहूलतें हैं। इस किस्म की सहूलतें कराची में भी होनी चाहिए ताकि इस से कराची के खिलाड़ी भी फायदा करसकें।

खिलाड़ियों का पैसा उनकी सहूलत के लिए ख़र्च करना चाहिए। कराची में अकैडमी का मंसूबा फ़ौरी तौर पर मुकम्मल होना चाहिए। जारिहाना ऑलराउंडर ने कहा कि कराची में एक दिन आराम के बाद अपनी ट्रेनिंग शुरू करूंगा। ज़िमबाब्वे जाने से चार पाँच दिन पहले लाहौर जाकर दुबारा ट्रेनिंग करूंगा।

आफ़रीदी के बमूजब वेस्ट इंडीज़ का दौरा मुश्किल था और मुझे अच्छी और मैच विनिंग कारकर्दगी की अशद ज़रूरत थी। मुक़ाबलों के लिए हालात भी आसान नहीं थे। गयाना और आख़िरी टी 20 मैच की विकेट आसान न थी लेकिन इस कामयाबी का तमाम तर सेहरा पूरी टीम और कप्तान मिसबाह-उल-हक़ को जाता है।

मिसबाह-उल-हक़ कई मर्तबा मुश्किल वक़्त में विकेट पर डट गए उन्होंने बैटिंग लाईन में रीढ़ की हड्डी का किरदार अदा किया। उम्र अकमल ने बैटिंग में अहम किरदार अदा किया। वो एक मुख़्तलिफ़ और मंझे हुए बैटस्मेन के रूप में दिखाई दि। शाहिद आफ़रीदी ने कहा कि मुश्किल विकटों और मुश्किल हालात में हर खिलाड़ी ने अपना किरदार अदा किया। जीत टीम स्परिट के मरहून-ए-मिन्नत थी।