सेंटर्ल वीजलनस कमीशन (central vigilance commission) ने पब्लिक पेक्टर बैंक्स की जानिब से धोका दही के मुआमलात को सी बी आई से रुजू करने की हद एक करोड़ रुपय से बढ़ा कर 3 करोड़ रुपय कर दी है।
नज़रसानी शूदा निज़ाम के तहत 3 करोड़ से 15 करोड़ रुपय तक के धोका दही के मुआमलात सी बी आई की इंसिदादी बदउनवानी ( नियम के विरुद्व) ब्रांच (बशर्ते की बैंक स्टाफ़ का बादियुन्नज़र में मुलव्वस होना साबित हो) से रुजू करने और इकनॉमिक आफेंस विंग (economics offence wing) (बशर्ते की बादियुन्नज़र में बैंक स्टाफ़ का मुलव्वस ना होना साबित हो) से रुजू किया जा सकता है।
15 करोड़ से 10 से ज़ाइद रक़ूमात की धोका दही के मुआमलात को सी बी आई की बैंकिंग सिक्योरीटीज़ (BS) और फ़राड सेल से रुजू किया जाना चाहीए। ऐसे मुआमलात जहां धोका दही में 3 करोड़ से कम की रक़म का तख़मीना (विभाजित करना) लगाया गया हो। इन को पुलिस से रुजू किया जाना चाहीए।
याद रहे कि बैंक धोका दही की तहक़ीक़ात के लिए बी एस और एफ़ सी ख़ुसूसी यूनिट्स हैं और उन्हें सिर्फ़ ख़तीर रक़ूमात वाली धोका दही की तहक़ीक़ात करने की इजाज़त होती है यानी उन्हें ये हिदायत दी जाती है कि वो अपनी तमाम तर तवज्जा सिर्फ इस जानिब मर्कूज़ रखें।
सी बी आई ने दरख़ास्त की थी कि मुख़्तलिफ़ धोका दही के मुआमलात में रक़ूमात का तख़मीना ( अनुमान) एक जैसा नहीं होता लिहाज़ा ख़तीर ( ज़्यादा) रक़ूमात और क़लील रक़ूमात की धोका दही की तहक़ीक़ात के लिए सी बी आई की मुख़्तलिफ़ यूनिट्स से रुजू किया जाना चाहीए ताकि तमाम यूनिट्स अपने फ़राइज़ ( कार्य) बख़ूबी अंजाम दे सकें।
रक़ूमात की हद मुक़र्रर करने से मुताल्लिक़ रिज़र्व बैंक आफ़ इंडिया सी बी आई और तमाम पब्लिक सेक्टर बैंक्स के चीफ़ वीजलनस (vigilance) आफ़िसरान को मकतूब ( पत्र) रवाना किए गए हैं।