तंज़ीम इंसाफ़ ने सीहोनी जुनूनीयों के हाथों क़िबला अव्वल बैतउल मुक़द्दस मस्जिद अकसा को दरपेश संगीन ख़तरात पर गहिरी तशवीश (चिंता)का इज़हार करते हुए इस मुजरिमाना साज़िश के पीछे अमरीका और मुसलिम दुश्मन योरोपी ममालिक की साज़िश क़रार दिया।
तंज़ीम इंसाफ़ के क़ाइदीन(लीडर) मुहम्मद यूसुफ़, एसए मन्नान, मुनीर पटेल, मुहम्मद ज़हीर, सय्यद अली अद्लैन अहमद, मीर मक़सूद अली, सय्यद अमीर मुहम्मद अमजद के इलावा सय्यद हमीद उद्दीन अहमद महमूद ने कहा के मशरिक़ी वसती में आग के शोला बुलंद होने के आसार नुमायां( ज़हर होना ) हैं। अमन की दहाई देने वाले, इंसानियत का ढूंढ विरह पीटने वाले, आज़ादी का नारा बुलंद करने वाले इस मौक़ा पर ख़ामोश दिखाई देते हैं और ख़ामोशी के साथ आग का खेल, खेल रहे हैं।
तंज़ीम इंसाफ़ के क़ाइदीन(लीडर) ने कहा के हिंदूस्तानी अवाम हमेशा मज़लूमों की हिमायत फ़लस्तीनीयों के हुक़ूक़ की बाबत आवाज़ बुलंद की है। साथ ही हिंदूस्तानी हुकूमत वाज़िह तौर पर मशरिक़ी वुसता में क़ियाम अमन की रुकावटों को दूर करने की वकालत ना सिर्फ मुल्क गीर सतह पर की है बलके अक़वाम मुत्तहिदा के प्लेट फार्म से भी मज़लूमों के हुक़ूक़ के हक़ में अपनी महर सबुत की है।
तंज़ीम इंसाफ़ के क़ाइदीन (लीडर)ने मज़हबी इक़दाम को पामाल करने वाले इसराईली जुनूनीयों को अपनी सरगर्मीयों से बाज़ आने पर ज़ोर देते हुए कहा के ख़ित्ता में कशीदगी में इज़ाफ़ा योरोपी ममालिक के लिए ख़तरा बन सकता है।
तंज़ीम इंसाफ़ ने हिंदूस्तानी हुकूमत से मुतालेबा किया के वो इन हालात में अपने क़दीम ग़ैर जांबदाराना तहरीक के अहम मुल़्क की हैसियत से कलीदी रोल अदा करते हुए फ़लस्तीनीयों के हुक़ूक़ की हिमायत का इआदा करें और ये साबित करें के इक्कीसवीं सदी में यूरोप हो कि अफ़्रीक़ा, एशीया हो हर जगह हिंदूस्तान की ग़ैर जांबदार पालिसी की आज भी वही एहमीयत बरक़रार है जो नए हिंदूस्तान के मुअम्मार पण्डित जवाहर लाल नहरू के दौर में हिंदूस्तान को मुक़ाम हासिल था ताके दुनिया भर के मज़लूमों की नज़रें जो हिंदूस्तान पर टिक्की हुई हैं। इस से इंसाफ़ हो और दुनिया भर में क़ियाम अमन में हिंदूस्तान की नुमायां एहमीयत रहे।