बैत-उल-मुक़द्दस की बाज़याबी के लिए आलम इस्लाम में इत्तेहाद ज़रूरी

क़िब्ला-ए-अव्वल बैत-उल-मुक़द्दस के इमाम व ख़तीब फ़ज़ीलतुश शेख़ इक्रमा सबरी अबदुल्लाह ने आलम इस्लाम में इत्तेहाद व इत्तेफ़ाक़ की ज़रूरत पर ज़ोर देते हुए कहाकि आज बैत-उल-मुक़द्दस इस्लाम दुश्मन ताक़तों के क़बज़ा में है, जिस के सबब इस्लाम कमज़ोर पड़ गया है।

बैत-उल-मुक़द्दस की बाज़याबी के लिए आलम इस्लाम को मुत्तहिद व मतफ़क़ होने की अशद ज़रूरत है। ऑल इंडिया रैम दावत उल-क़ुरआन के सदर क़ारी रिज़वान बेग शमसी और इस्तेक़बालीया कमेटी के सदर असलम अहमद व दीगर की दावत पर दौरा हिंद पर आए इमाम क़िब्ला अव्वल ने मस्जिद क़ादरिया ईदगाह क़ुद्दूस साहिब में बाद नमाज़ ज़ुहर ब ज़बान अरबी ख़िताब किया और उर्दू सहाफ़ीयों से मुलाक़ात के दौरान बताया कि ईमान कमज़ोर होने के सबब मुस्लमानों में इत्तेहाद की कमी पाई जा रही है।

अगर हम ईमान को मज़बूत बना लें तो हमें रुसवाई नहीं होगी। मुहतरम इक्रिमा सबरी अबदुल्लाह ने वाज़िह अलफ़ाज़ में बताया कि बैत-उल-मुक़द्दस इस्लाम का हिस्सा है, और वहां पर इस्लाम की अलामतें पाई जाती हैं, इसकी आज़ादी के लिए आलम इस्लाम को मुत्तहिद होने की अशद ज़रूरत है।

उन्होंने बतायाकि तमाम मुस्लमानों की रूह एक है, जब तक मुस्लमानों में तक़वा पैदा नहीं होता उस वक़्त तक ईमान की हरारत नहीं आएगी। हिंद । फ़लस्तीन के ताल्लुक़ात से मुताल्लिक़ आप ने बताया कि हमारे ताल्लुक़ात पहले ही से अच्छे रहे हैं, और उन्हें तवक़्क़ो है कि इसमें मज़ीद इस्तेहकाम आएगा।

इक्रमा सबरी ने कहा कि वो बैत-उल-मुक़द्दस से यहां सलामती का पैग़ाम लाए हैं। आप ने ज़ोर देकर कहा कि इस्लाम ताक़त या तलवार के ज़ोर से नहीं फैला , हिंदूस्तान आने वाले अरब बाशिंदे तिजारत की ग़रज़ से यहां आए थे, जंग के लिए नहीं, यहां के लोगों ने इस्लाम के पैग़ाम से मुतास्सिर होकर ख़ुशी ख़ुशी इस्लाम को कुबूल किया है। महफ़िल क़रा॔त के प्रोग्राम के इंइक़ाद पर ख़ुशी का इज़हार करते हुए आप ने कहा कि क़ुरआन मजीद के मुताल्लिक़ शऊर बेदार करने के लिए इस तरह के प्रोग्रामों का इनइक़ाद ज़रूरी है।

आप ने आलम इस्लाम के मुस्लमानों से दरख़ास्त की कि वो फ़लस्तीन के मज़लूमीन के हक़ में दुआ करें। मुहतरम इक्रमा सबरी अबदुल्लाह ने शहर गुलिस्ताँ बैंगलौर में मिलने वाली अक़ीदत वमहबत का शुक्रिया अदा किया।