अक़वाम-ए-मुत्तहिदा, १२ अक्टूबर (पी टी आई) अक़वाम-ए-मुत्तहिदा (UN) पहले बैन-उल-अक़वामी ( अंतर्राष्ट्रीय) यौम (दिवस) लड़कीयां पर जो आज मनाया जा रहा है , बचपन की शादीयों के इंसिदाद ( रोकने) को अपना मर्कज़ी मौज़ू ( विषय) क़रार देगा और हिंदूस्तान , बंगला देश और सोमालीया जैसे ममालिक में दरपेश चैलेंज्स को उजागर करेगा।
इस बुनियादी इंसानी हक़ की ख़िलाफ़वर्ज़ी के ख़िलाफ़ जद्द-ओ-जहद करेगा जो लड़की की पूरी ज़िंदगी को मुतास्सिर ( प्रभावित) करती है। बैन-उल-अक़वामी यौम ( दिवस) लड़कीयां इस हक़ीक़त की अक्कासी करता है कि लड़कीयां के हुक़ूक़ ( अधिकार) तरक़्क़ी में मर्कज़ी एहमीयत रखते हैं।
अंजू महेन्द्रू ने जो सिनफ़ ( वंश) और हुक़ूक़ ( अधिकार) के शोबा ( Sector) की सरबराह हैं, कहा कि अक़वाम-ए-मुत्तहिदा और इस के रुकन ( सदस्य) ममालिक इजतिमाई तौर पर दरपेश चैलेंजों से निमटने/ निपटने के सिलसिले में नाक़ाबिल फ़रामोश किरदार अदा कर रहे हैं।
बचपन की शादी के इंसिदाद ( समाप्ति/ रोकना) के लिए जो इंसानी हुक़ूक़ की एक ख़िलाफ़वर्ज़ी है और लड़की की ज़िंदगी के हर पहलू को मुतास्सिर ( प्रभावित) करती है, जद्द-ओ-जहद ज़रूरी है।