नई दिल्ली ।4 फरवरी (पी टी आई): हुकूमत ने आज इस बात का वाज़िह इशारा दे दिया हॆ कि मुल्क में मीटा यूनीवर्सिटी का नज़रिया फ़रोग़ पा सकता है जिस के ज़रीया एक तालिब-ए-इल्म बैयकवक़त मुतअद्दिद ज़मरों के प्रोग्राम्स से इस्तिफ़ादा करसकता है और अब आइन्दा तालीमी साल से इस नज़रिए को हक़ीक़त में तबदील करदिया जाएगा।
इस मौक़ा पर एक तक़रीब से ख़िताब करते हुए वज़ीर बराए फ़रोग़ इंसानी वसाइल कपिल सिब्बल ने कहा कि उन्हें इस बात का पूरा यक़ीन है कि आइन्दा तालीमी साल से मीटा यूनीवर्सिटी का आग़ाज़ हो जाएगा। मुजव्वज़ा यूनीवर्सिटी के ज़रीया मिसाल के तौर पर कानपूर के टी आई टी के एक तलबा-ए-को ये सहूलत भी हासिल रहेगी कि अगर वो चाहे तो बैयकवक़त जवाहर लाल नहरू यूनीवर्सिटी से क़दीम तारीख़ के कोर्स केलिए भी अपना नाम दाख़िल करवा सकता है या फिर इंडियन इंस्टीटियूट आफ़ साईंस में रियाज़ी के एक तालिब-ए-इल्म को जाधव पर यूनीवर्सिटी से बैयकवक़त का मपरीटीव अदब कोर्स में दाख़िला लेने की सहूलत भी हासिल रहेगी।
मीटा यूनीवर्सिटी की तमाम तर तवज्जा क़ौमी मालूमात नेटवर्किंग प्रोग्राम से मरबूत होगी , जिन से मुल़्क की दीगर कलीदी यूनीवर्सिटीयों इंतिहाई तेज़ रफ़्तार फाइबर वाले बराडीनीड कनकटीवीटी के ज़रीया जोड़ रखा ही। मिस्टर सिब्बल ने अपनी बात जारी रखते हुए कहा कि मुजव्वज़ा प्रोग्राम के ज़रीया 31000 कॉलिजस और 6400 यूनीवर्सिटीयों को आइन्दा छः माह के दौरान एक दूसरे से मरबूत करदिया जाएगा। उन्हों ने कहा कि मटिया यूनीवर्सिटी एक और मुनफ़रद मौक़ा फ़राहम करेगी यानी ऐसे असरी प्रोग्राम्स जिन के वाअदे तो किए गए थी, लेकिन वो वाअदे सिर्फ काग़ज़ी साबित हुए थी।
आला तालीमी मयार क़ायम करने केलिए असरी प्रोग्राम्स को मुतआरिफ़ किए जाने का मुल्क में एक अर्सा से मुतालिबा किया जा रहा था किन अब एक कारकरद नैटवर्क के ज़रीया मह्दूद वसाइल की दस्तयाबी के बावजूद इन वादों की तकमील की जाएगी और इस सिलसिले में वज़ीर-ए-आज़म मनमोहन सिंह ने भी गुज़शता साल नैशनल इनोवेशन कौंसल की एक रिपोर्ट को जारी भी किया था।