हैदराबाद 18 नवंबर:500 और 1000 मुद्रा नोट रातों रात बंद करने के बाद मोदी सरकार कुछ भी कर सकती है। इन चिंताओं ने सर्राफा बाजार में भय और आतंक का माहौल पैदा कर रखा है और सोने के ताजरीन का कहना है कि पर्यावरण अनुकूल होने तक सोने के व्यापार लाभदायक या बाजार में आई मंदी को दूर किया जाना मुम्किन नज़र नहीं आता है क्युंकि ऐसा महसूस हो रहा है कि भारत सरकार बैरूनी मार्किट से सोने की खरीदी या गहने के आयात पर प्रतिबंध सकती है उसी तरह इस कीमती धातु के अन्य देशों से खरीदी पर पूर्ण रोक भी संभव है।
भारत जो दुनिया में दूसरा सबसे बड़ा देश है जहां सोने की मांग बहुत अधिक है और इस मांग को पूरा करने के लिए अब तक सर्राफा बाजार निर्भर स्थानीय खरीदारी के अलावा बैरूनी ख़रीदारी पर हुआ करता था लेकिन अब जबकि काले धन पर लगाम कसने की बात की जा रही है तो ऐसे में सोने के आयात पर इमतिना सख्ती से अमल आवरी शुरू कर दी जाएगी।
सोने के ताजरीन का कहना है कि सोने की जुमला मांग का एक तिहाई हिस्सा रक़ूमात काले धन से भुगतान किया जाता है जिन की गणना करना मुश्किल होता है। सूत्रों के मुताबिक भारत में वार्षिक सोने की मांग 1000 टन तक पहुंच चुकी है जो एक तिहाई कीमत गैर महसोलाती आमदनी के ज़रीये से अदा की जाती है और अगर इस पर प्रतिबंध लगाया जाता है तो उसके सर्राफा बाजार के साथ अन्य तिजारतों पर नकारात्मक प्रभाव उत्पन्न होंगे।
नरेंद्र मोदी की तरफ सिर्फ करंसी नोट पर इमतिना पर ख़ामोश ना बैठने के ऐलान ने सोने के ताजरीन में हलचल पैदा कर दी है और कहा जा रहा है कि मुल्क में मौजूद सोना वज़ीर-ए-आज़म का उगला निशाना होगा। सोने के ताजरीन के बीच जारी गुफ़्तगु के मुताबिक़ घरेलू इस्मातेल के सोने की दरआमदात पर पाबंदी आइद की जा सकती है उसी लिए ख़रीदी में एहतियात लाज़िमी है।