हैदराबाद 31 जुलाई:अगर कोई तालिब-ए-इल्म बैरून-ए-मुल्क आला तालीम हासिल करना चाहता है तो पहले वो मंसूबा बंदी के साथ यूनीवर्सिटीज़ कॉलेजस कोर्स की मुकम्मिल मालूमात और रहनुमाई हासिल करलीं।
इन ख़्यालात का इज़हार सरफ़राज़ हुसैन सी ई ओ लंदन एजूकेशनल मैनेजमेंट कन्सलटेंट ने इदारा-ए-सियासत के ज़ेरे एहतेमाम मुनाक़िदा बैरूनी ममालिक में आला तालीम के मवाक़े पर सेमीनार को मुख़ातिब करते हुए किया और कहा कि किस मुल्क की यूनीवर्सिटीज़ टाप हैं। इंटरनेट पर टाप यूनीवर्सिटीज़ को सर्च करके मालूमात इकट्ठा करलीं।
सिर्फ़ बाहर मुल्क में पढ़ना अहम नहीं है बल्कि वहां पर भी कई यूनीवर्सिटीज़ ग़ैर मयारी हैं, इस लिए मुख़्तलिफ़ यूनीवर्सिटीज़ के मुताल्लिक़ वाक़फ़ीयत हासिल करलीं। उन्होंने पाँच अहम नकात पेश किए जिन पर तलबा को अमल करने का मश्वरह दिया। बाज़ यूनीवर्सिटीज़ बगै़र जी मयाट् और जी आर ई के भी दाख़िले देते हैं। फॉरेन यूनीवर्सिटीज़ में दाख़िले के लिए शेडूल और आख़िरी तारीख़ होती है।
इस के मुताबिक़ ही फ़ार्म दाख़िल करके दाख़िले हासिल करसकते हैं। अब तेलंगाना हुकूमत , अक़लियती तलबा को जो ओवरसीज़ स्कालरशिप दे रही है, इस से भरपूर इस्तेफ़ादा के लिए तमाम शराइत की तकमील करें। टोफिल और आई ई एल्टी एस के अलावा दुसरे 8 इंग्लिश ज़बान के इमतेहानात में जो बोलने, सुनने, लिखने और पढ़ने से मुताल्लिक़ होते हैं, बी ए में लागाजेस्टिक मैनेजमेंट की बाहर बहुत मांग है।
इस पर आमिर अली ख़ां न्यूज़ एडीटर सियासत ने तलबा से बाहमी बातचीत करते हुए सवालात करने का मौक़ा फ़राहम किया और तलबा और नौजवानों पर ज़ोर दिया। वो झिजक और डर को दूर करें और किसी भी बैरून-ए-मुल्क जाने के लिए सब से पहले ज़हनी तौर पर तैयार रहें।
फॉरेन यूनीवर्सिटीज़ में तालीम हासिल करने का बड़ा फ़ायदा ये हैके उसकी क़दर ख़लीजी ममालिक में ज़्यादा है। इस लिए उस को तर्जीह दी जाती है, वर्ना इंडिया में बेशुमार यूनीवर्सिटीज़ हैं। इस मौके पर तलबा-ए-और सरपरस्तों ने कई सवालात किए जिन का जनाब सरफ़राज़ हुसैन, आमिर अली ख़ान और स्कालरशिप से मुताल्लिक़ एम ए हमीद ने जवाबात दिए। प्रोग्राम का आग़ाज़ करा क़ुरआन हकीम से हुआ। एम ए हमीद ने निज़ामत के फ़राइज़ अंजाम दिए और आख़िर में शुक्रिया अदा किया।