मर्कज़ी वज़ीर कलराज मिश्रा ने आज कहा कि अगर कोई शख़्स हिन्दुस्तान में रहता है और उस को बैरून-ए-मुल्क हिंदू क़रार दिया जाता है तो इस में कोई मुबालग़ा आराई नहीं है और ना इस पर किसी को बुरा मानना चाहिए। उन्होंने कहा कि बैरून-ए-मुल्क हिन्दुस्तान के रहने वालों को हिंदू के नाम से मुख़ातब करना एक आम बात है इस में कोई मुबालग़ा आराई नहीं।
जो शख़्स बाहर जाता है अगर उसे हिंदू मुस्लिम या हिंदू ईसाई कह कर मुख़ातब किया जाये तो इस का मतलब ये है कि हिन्दुस्तान का बाशिंदा है। उसकी तफ़सीली वज़ाहत करते हुए कलराज मिश्रा ने हाई कोर्टस और सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसलों के हवाले दिए जिन में कहा गया है कि 2000 साल क़दीम मख़तूतात में भी यही कहा गया है और हिंदू अज़म को एक तर्ज़-ए-ज़िदंगी, एक फ़लसफ़ा क़रार दिया गया है।
मर्कज़ी वज़ीर ने कहा कि हिंदू अज़म क़ौमियत है। ये ज़ात पात और बिरादरी की बुनियाद पर कोई फ़र्क़-ओ-इमतियाज़ नहीं करती और अगर कोई इल्ज़ामात आइद करता है तो उसे मज़ीद मुताला की ज़रूरत है। मर्कज़ी वज़ीर का ये तबसरा इस लिए भी एहमीयत रखता है कि मर्कज़ी वज़ीर बराए अक़िलियती उमूर नजमा ह्ब्बत अल्लाह ने कल अपने बयान में कहा था कि किसी हिन्दुस्तानी को हिंदू पुकारने में कोई क़बाहत नहीं है।
उनके इस बयान पर मुल्क गीर सतह पर तनाज़ा पैदा होगया है और आज ह्ब्बतुल्लाह ने वज़ाहत की कि उन्होंने हिंदू नहीं हिन्दी कहा था।