बॉम्बे हाईकोर्ट ने ‘बीफ बैन’ पर रोक से किया इनकार

बॉम्बे हाई कोर्ट ने रियासत की हुकूमत की तरफ से बीफ बैन पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है. अब महाराष्ट्र में बीफ बैन बरकरार रहेगा. लेकिन… इंतेबाह दिया गया है कि बीफ रखा पाए जाने पर कोई सख्त कार्रवाई ना की जाए. महाराष्ट्र सरकार के गोवंश हत्या बंदी कानून के खिलाफ बॉम्बे हाई कोर्ट में दरखास्त दायर की गई है.

महाराष्ट्र में रियासत की हुकूमत ने गौवंश हत्याबंदी कानून लागू कर दिया है जिसके मुताबिक जिसके तहत रियासत भर में गाय और बैलों का जिबह करना, उनका गोश्त खाना या फरोख्त करना सभी गैरकानूनी ऐलान कर उसपर पूरी तरह से रोक लगा दी गई है. खाती पाए जाने पर 5 साल की सजा और 10 हजार रूपये पनाल्टी का नियम है.

इस कानून के खिलाफ बॉम्बे हाई कोर्ट में 3 दरखास्त दायर हुई हैं. दरखास्त में नए कानून की दफा 5(D) और 9(A) को चैलेंज दिया गया है. इस दफा के तहत ही रियासत में गाय का गोश्त रखने और खाने पर भी पाबंदी है.

दरखास्तगुजार के मुताबिज दफा 5(D)इंसान के खाने के बुनियादी हुकूक की खिलाफवर्जी कर रही है. ‘हम क्या खाएं’ ये हुकूमत तय नहीं कर सकती.

दरखास्तगुजार की दलील है कि उत्तर प्रदेश, पंजाब और हरियाणा जैसे रियासतों में गाय के जिबह करने पर पाबंदी है लेकिन रियासत के बाहर से लाकर गोश्त रखने और खाने पर पाबंदी नहीं है.

वहीं दूसरी तरफरियासत की हुकूमत की तरफ से एडवोकेट जनरल सुनील मनोहर ने अदालत को बताया है कि गोश्त खाना किसी शहरी का बुनियादी हुकूक नहीं हो सकता है. एग्जीक्यूटिव किसी भी मख्लूक या जानवर के गोश्त खाने पर काबू कर सकती है जिनका सोर्स काबिल ए मुज़म्मत है.

सुनील मनोहर का कहना है अगर दफा 5(D) को खत्म किया जायेगा तो गाय के जिबह पर पाबंदी के कानून ( गोवंश हत्या प्रतिबन्ध कानून) सिर्फ कागजों पर रह जायेगा और उसका मकसद हासिल नहीं होगा.