बॉलीवुड में छोटे शहरों कि अहमियत बढ रही हैं

मुंबई। पिछले कुछ समय में बॉलीवुड में एक बड़ा बदलाव‌ देखने को मिला है। बडी फिल्मों की जगह छोटी फिल्मों ने ले ली है। खास बात ये है कि देखने वाले भी इन फिल्मों को खुले दिल से कबुल‌ कर रहे हैं। बॉलीवुड में आइ इस नई खेप ने उसका चेहरा ही बदल दिया है। छोटे शहरों से आए ये निर्देशक अपने तजुर्बों और अपने शहरों के किस्से-कहानियों पर फिल्में बनाते हैं।

इन फिल्मों का ही प्रभाव है कि शहरों में रहने वाला भारतीय भी अब देश के सुदूर ग्रामीण इलाकों के बारे में जानने लगा है। इशकजादे, इश्किया, ओंकारा, अपहरण जैसी फिल्मों ने उत्तर प्रदेश के ग्रामीण इलाकों को रोशनी में लाने का काम किया।

गौरतलब है कि एक दौर था जब आज के नामचीन निर्देशक बड़े निर्देशकों के सहायक के तौर पर काम किया करते थे। फिर उन्होंने उनसे अलग होकर अपने तरह की फिल्में बनानी शुरू कीं।