पार्लीमेंट में आज भी बोफोर्स मौज़ू छाया रहा। अपोज़ीशन ने राज्य सभा में ये मसला उठाते हुए तहक़ीक़ात की पर्दापोशी और मुक़द्दमा से मुताल्लिक़ हक़ायक़ को मख्फ़ी रखने का हुकूमत पर इल्ज़ाम आइद किया। इस मसला पर ऐवान की कार्रवाई बार बार मुल्तवी होती रही।
लंच से क़ब्ल 3 मर्तबा बोफोर्स मसला पर एहतिजाज की वजह से ऐवान की कार्रवाई को मुल्तवी करना पड़ा। स्वीडेन के साबिक़ पुलिस सरबराह ने ये इल्ज़ाम आइद किया था कि साबिक़ वज़ीर-ए-आज़म राजीव गांधी के दौर में बोफोर्स तोपों की ख़रीदी के लिए रिश्वत अदा की गई थी।
क़ाइद अपोज़ीशन अरूण जेटली ने वक़फ़ा सिफ़र के दौरान ये मसला उठाते हुए कहा कि इस मुआमले में हक़ायक़ को छिपाने की कोशिशें की जा रही हैं। इस के इलावा तहक़ीक़ात का अमल भी काफ़ी सुस्त रवी के साथ जारी रहा। इससे ये वाज़िह है कि किसी ने कौंट्रैक्ट हासिल किया और किसी ने रिश्वत हासिल की।
वो शख़्स (ओटावीव क़तरोची) इस क़दर ताक़तवर है कि सारी हिंदूस्तानी हुकूमत बेबस नज़र आती है। उन्होंने कहा कि इस मुआमला में धोका दही हुई है। सरकारी बनच्स की तरफ़ से मनी शंकर अय्यर (कांग्रेस) ने जवाबी वार करते हुए अरूण जेटली को तन्क़ीद का निशाना बनाया जिस पर अपोज़ीशन अरकान उन पर भड़क उठे और ये जानना चाहा कि उन्हें ऐसे वक़्त बात करने का मौक़ा क्यों दिया जा रहा है जब कि ऐवान में इस मसला पर सिर्फ सयासी जमातों के क़ाइदीन को ही बात करने की इजाज़त है।
एक मरहला पर नजमा हेप्तुल्लाह (बी जे पी) ने कहा कि वज़ीर-ए-आज़म मनमोहन सिंह को जो क़ाइद राज्य सभा भी हैं, मुबाहिस के दौरान ऐवान में मौजूद रहना चाहीए। नरेश अग्रवाल (एस पी) ने भी मणि शंकर अय्यर को इस मसला पर बात करने की इजाज़त दिए जाने पर कुर्सी-ए-सदारत से एतराज़ किया।
उन्होंने कहा कि ये जांबदारी के मुतरादिफ़ है और हर शख़्स को बात करने का मौक़ा दिया जाना चाहीए। अरूण जेटली की जानिब से सच्चाई को बेनकाब करने की नाकाम कोशिशों का तज़किरा किए जाने पर मनी शंकर ने कहा कि सच्चाई को बेनकाब ना करने की वजह ये है कि सच्चाई का रास्ता सिलसिलावार झूट से शुरू होता है।
उन्होंने ये बात भी नोट की कि 1989 दिसम्बर से 1990 नवंबर (वी पी सिंह दौर-ए-हकूमत) में और साथ ही साथ एन डी ए दौर ए इक़्तेदार में इस मुक़द्दमा में ख़ातिरख्वाह पेशरफ़त नहीं हुई। अगर चीका अरूण जेटली ने आँजहानी वज़ीर-ए-आज़म का नाम नहीं लिया और कहा कि वो किसी जमात या क़ाइद को मौरिद इल्ज़ाम क़रार देना नहीं चाहते लेकिन मणि शंकर ने जवाबी तन्क़ीद करते हुए कहा कि अरूण जेटली ने राजीव गांधी का बिलवास्ता ज़िक्र करते हुए उन पर संगीन इल्ज़ामात आइद किए हैं।
उन्होंने कहा कि ये एक हक़ीक़त है कि ये मुक़द्दमा उस दौर का है जब राजीव गांधी वज़ीर-ए-आज़म थे। अरूण जेटली ने कहा कि इस मुक़द्दमा में 25 साल के बाद भी किसी को मौरिद इल्ज़ाम क़रार ना देना हमारे तहक़ीक़ाती अमल के बारे में सवालिया निशान उठाता है। उन्होंने तहक़ीक़ाती इदारों को मज़ीद मुस्तहकम बनाने की ज़रूरत पर ज़ोर दिया।
सीताराम यचूरी (सी पी आई एम) ने भी बहस में हिस्सा लेते हुए कहा कि बोफोर्स मसला ने मुल्क को दो दहिय से ज़ाइद अर्सा तक नुक़्सान पहुंचाया है। उन्होंने कहा कि आज भी दिफ़ाई मुआमलतों के ताल्लुक़ से कई शुबहात पाए जाते हैं। हुकूमत इन मुआमलात की मोस्सर तहक़ीक़ात करे।
मोहन सिंह (एस पी) ने कहा कि ताज़ा हक़ायक़ की तहक़ीक़ात की जानी चाहीए। बहस के दौरान बी जे पी अरकान क़तरोची को किसने बचाया के नारे लगा रहे थे। इसके जवाब में कांग्रेस अरकान ने बी जे पी ने बचाया के नारे लगाए। अफ़रा तफ़री के आलम में ऐवान की कार्रवाई 15 मिनट के लिए मुल्तवी की गई।