ब्रिटेन: अपराधिक आंकड़ो में कमी को मुस्लिम नताओं ने सिरे से नकारा

स्रोत: विकिमीडिया कॉमन्स

लंदन: मुस्लिम नेता ने मुसलमानो के खिलाफ होने वाले अप्रराधो मे कमी के आकड़ो को गलत बताते हुए कहा की  बर्लिन हमले के बाद मुसलमान डर मे जी रहे हैं

लंकाशायर  मस्जिदों की परिषद् के अध्यक्ष अब्दुल हामिद कुरैशी ने कहा की इस्लामोफोबिया एक “बढ़ती हुई समस्या” है, और आंकड़े मुस्लिम समुदाय की स्थिति की वास्तविकता को नहीं दर्शाते।

आंकड़ो से पता चलता है की जून मे ब्रिटैन के यूरोपीय संघ छोड़ने के फैसले के बाद , उनके इलाके और पुरे देश मे मुसलमानो के खिलाफ होने वाले अपराधों मे कमी हुई है। बहुत कम रिपोर्ट बताती हैं की मुसलमानो पर वास्तविकता मे कितने हमले हो रहे हैं और वे किस प्रकार इन आतंकी हमलो से जूझ रहे हैं, समूह के नेता ने इस्लामोफोबिया की बढ़ती घटनाओ पर ज़ोर देते हुए लंकाशायर टेलीग्राफ से कहा।

” मुझे लगता है की यह आंकड़े इसलिए सही नहीं हैं क्योंकि लोगो में  बहार आकर शिकायत करने का सहास नहीं है और तीसरे पक्ष की रिपोर्टिंग हेल्पलाइन अभी अपनी प्रारंभिक अवस्ता मे है।

” पर यह आंकड़े, विशिष्ट रूप से मुसलानो की स्थिति की असलियत नहीं दर्शाते । अब धमिकयों के कारण डर का माहौल है और यह किसी भी आतंकवादी हमले के बाद और भी बढ़ जाता है। इस समय इस्लामोफोबिया के बढ़ने के कारण सबसे ज़्यादा औरतो को निशाना बनाया जा रहा है, कुरैशी ने कहा ।

मुसलमानो के खिलाफ हुए अपराधों मे बढ़ोतरी को मीडिया ऐसे प्रदर्शित करती है जिससे लगता है की “ब्रिटैन नफरत की गिरफ्त” मे है, और इसे संयुक्त राष्ट्र और ह्यूमन राइट्स के समूह नेताओ को अप्रवास के मामले में चुप कराने के लिए इस्तेमाल करते हैं।