ब्रिटेन के दो सगे भाइयों की कहानी: एक ईमान ले आया और दूसरा इस्लाम का दुश्मन

ब्रिटिश के मुसलामानों ने एक चैनल पर इन दोनों भाइयों की जिंदगी का सच देखा जिसमें इनकी सच्चाई से रू-ब-रू कराया गया जो काफी रोचक थी। शराब, ड्रग्स, जुआ, क्लब आदि दोनों की जिंदगी का हिस्सा थे। घर में ही पार्टियां होती थीं लेकिन फिर इनके जीवन में एक यू-टर्न आया। शॉन ने इस्लाम कुबूल कर लिया और अब्दुल बन गया जबकि ली इंग्लिश डिफेंस लीग की ओर से आयोजित होने वाली मुस्लिम विरोधी रैलियों में शामिल होने लगा।

 

भाई के मुस्लिम विरोध में खड़े होने पर अब्दुल ने कहा कि मैं जानता हूँ ली मुझे प्यार करता है और मैं उसे प्यार करता हूँ। बर्मिंघम स्थित सेंट्रल मस्जिद आसपास फिल्माई गई इस फिल्म की श्रृंखला की प्रोड्यूसर फ़ौज़िया खान कहती हैं कि इसको बनाए में एक साल लगा जिसके माध्यम से वह आम मुसलमान के उस जीवन को दर्शाना चाहती थी जो नकारात्मक ख़बरों से पर रह रहा है।

 

अब्दुल सात साल पूर्व इस्लाम में आया लेकिन कभी भी वह गलत नहीं था। वह ड्रग्स एवम गलत गतिविधियों में लिप्त था लेकिन हिंसक नहीं था। उसने कहा कि इस्लाम में आने से पहले उसने कई गलतियां की हैं लेकिन इस्लाम में आकर पता चला है कि यहां जीवन के हर पहलू को नियंत्रित करने वाले नियम हैं। मैंने सोचा कि यह आश्चर्यजनक है। लेकिन मैंने अपने जीवन में उन सभी चीजों का आनंद लिया है और मैं उन्हें नहीं करना चाहता। यह एक धीमी प्रक्रिया थी साकार करने के लिए तीन से चार साल लग गए। आज मैंने अपना जीवन पूरी तरह से बदल दिया है। मैं अब अपने अतीत में नहीं जाना चाहता।

 

ली अपने भाई शॉन के फैसले पर हैरान था। उसका कहना था कि वह जानता था कि अंदर ही अंदर कुछ चल रहा है लेकिन मुझे उससे यह उम्मीद नहीं थी। अगर वह धर्म परिवर्तित करना चाहता था तो ईसाई धर्म में जाता, मुस्लिम में नहीं। कुछ ऐसा करने की उसको उम्मीद नहीं थी। मैं इंग्लिश डिफेंस लीग की ओर से आयोजित होने वाली मुस्लिम विरोधी रैलियों में शामिल हो रहा हूं। वैसे मैं मुसलामानों के प्रति बुरे विचार नहीं रखता हूं। खुद बोर होने पर वह यह सब करता रहा है।