हैदराबाद में ब्रेन स्ट्रोक के वाक़ियात ख़तरनाक हद तक बढ़ रहे हैं। हिंदुस्तान में ब्रेन स्ट्रोक के वाक़ियात की औसतन तादाद हैदराबाद के बराबर ही है।
न्योरोलोजिस्टस ने बताया के हिंदुस्तान में ब्रेन स्ट्रोक केसिस क़ौमी शरह एक लाख अफ़राद में एक हज़ार केसिस की है जो हैदराबाद में ब्रेन स्ट्रोक केसिस की तादाद के मुसावी है।
वर्ल्ड ब्रेन स्ट्रोक डे के मौखे पर हैदराबाद में डॉक्टर्स ने बात चीत करते हुए कहा के ब्रेन स्ट्रोक नाक़ाबिल ईलाज नहीं है। बड़ी हद तक दिमाग़ को पहूंचने वाले नुक़्सान को रोका जा सकता है और मरीज़ इस से शिफ़ा याब भी होसकते हैं।
ताहम उन्हों ने कहा के ब्रेन स्ट्रोक से मुतास्सिरा मरीज़ों को इसी तरह जल्द हस्पताल पहुंचाना चाहीए जैसे क़लब पर हमला के मरीज़ों को पहुंचाया जाता है। प्रोफेसर न्यूरोलोजी नमस डाक्टर ए के मीणा ने कहा के बरवक़्त मरीज़ को हस्पताल पहुंचाने की सूरत में इस की ज़िंदगी बचाई जा सकती है।
मरीज़ को ज़िंदगी में दुबारा दिमाग़ पर हमला से बचाने के लिए मुस्तक़िल ईलाज मुआलिजा की ज़रूरत पड़ती है। डाक्टरों ने कहा के कई लोग वाक़िफ़ नहीं हैं के ब्रेन स्ट्रोकस के ईलाज की बहतरीन दवाएं दस्तयाब हैं।
ब्रेन स्ट्रोकस दो किस्म के होते हैं। एक Ischemic और दूसरा Haemorrhagic। डॉक्टर्स का कहना है के Ischemic ब्रेन स्ट्रोकस आम हैं और ये दिमाग़ को ख़ून पहुंचाने वाली शरयानों(रागें) में ख़ून के मुंजमिद(जमा) होजाने के बाइस होता है।
Haemorrhagic ब्रेन स्ट्रोक ख़ून की शरयानों (रागें) के फट पड़ने के बाइस दिमाग़ में ख़ून के बह जाने की वजह से होता है। ब्लड प्रेशर पर कंट्रोल बरक़रार रखने पर मुनासिब तवज्जा देनी चाहीए और ज़ियाबीतुस को कंट्रोल में रखना चाहीए।
तनाव और दल के मसाएल भी दिमाग़ की सेहत के लिए मुज़िर(नुक्सान) हैं। डॉक्टर्स ने ये भी मश्वरा दिया के 50 बरस से ज़ाइद उम्र की ख़वातीन और 40 बरस के मर्दों के ब्रेन स्ट्रोक का शिकार होने का ख़तरा लाहक़ रहता है।