बीस साल क़बल सरकारी स्कूल का जब कोई ज़िक्र करता तो सुनने वाले के ज़हन में वसीअ-ओ-अरीज़ इमारत , साफ़ सुथरा माहौल ,कुशादा क्लास रूम्स , बड़ी ही जाँफ़िशानी और मेहनत-ओ-लगन से पढ़ाने वाले असातिज़ा , उन का ग़ैरमामूली डिसिप्लिन और तलबा (स्टुडेंट्स)ओ- तालिबात के हंसते मुस्कुराते चेहरे गर्दिश करने लगते थे लेकिन आज जब कोई सरकारी स्कूलों का ज़िक्र करता है तो तंग-ओ-तारीक तमाम सहूलतों से महरूम छोटा सा मकान ,
कैद ख़ानों के सेल की तरह तंग दामिनी का शिकवा करते क्लास रूम्स , टूटा फूटा फर्नीचर , परेशान हाल टीचर्स , फ़िक्रमंद तलबा और उन के गरीब सरपरस्तों के चेहरे हमारे ज़हनों में आजाते हैं हुकूमत की ग़फ़लत और ओहदेदारों की मुजरिमाना ग़फ़लत का शिकार पुराना शहर के कई उर्दू मीडियम स्कूलों में से एक गर्वनमैंट ब्वॉयज़ प्राइमरी स्कूल कुन्दी कल गेट चारमीनार मंडल भी है ।
हैरत की बात ये है कि कुन्दीकल गेट का ये स्कूल तालाब कटा भवानी नगर में एक छोटे से घर में चलाया जा रहा है । इस स्कूल में जुमला 230 तलबा (स्टुडेंट्स)ज़ेर-ए-तालीम हैं जबकि उन्हें 8 टीचर्स ज़ेवर तालीम से आरास्ता करने की कोशिश कर रहे हैं । स्कूल की हैड मिस्ट्रेस किशवर जहां इशरत है । उन का कहना है कि बड़ी मुश्किल से स्कूल चलाने के लिए किराए का ये मकान मिला है और माहाना 2600 रुपये किराया अदा किया जाता है ।
श्रम की बात तो ये है कि 230 तलबा 8 टीचर्स के लिए स्कूल में सिर्फ एक ही बैत उल-खुला(लेट्रिन रूम) है । इस से अंदाज़ा होता है कि ये सरकारी स्कूल किसी बुरी हालत से दो-चार है । हैड मिस्ट्रेस किशवर जहां इशरत ने बात चीत पर बताया कि स्कूल की इमारत नाकाफ़ी है लेकिन हमारी मजबूरी है अगर हम स्कूल की इमारत के बारे में शिकायत करेंगे तो स्कूल को किसी और इलाक़ा में मुंतक़िल किया जाएगा , मुहल्ले के लोग स्कूल के लिए इमारत किराया पर देने के लिए राज़ी नहीं हैं ।
मुक़ामी लोगों का कहना है कि हुकूमत स्कूलों के लिए किराया पर इमारतें तो हासिल कर लेती हैं लेकिन पाबंदी से किराया अदा नहीं किया जाता इस लिए लोग अपनी जायदादें स्कूल के लिए किराया पर देने से अहितराज़ करते हैं । यहां इस बात का भी तज़किरा ज़रूरी होगा कि साबिक़ कलक्टर नटराजन गुलज़ार पुराना शहर के स्कूलों के बारे में काफ़ी दिलचस्पी लिया करते थे और बार बार स्कूलों का दौरा करते हुए हालात से वाक़फ़ियत हासिल करते
लेकिन 27 जुलाई को कलक्टर हैदराबाद की हैसियत से जायज़ा लेने वाले सय्यद अली मुर्तज़ा रिज़वी ने अब तक पुराना शहर के किसी स्कूल का दौरा नहीं किया । पता नहीं इन बेचारों की क्या मजबूरी है कि इन के क़दम पुराना शहर के सरकारी मदारिस की जानिब नहीं बढ़ते ।
बहरहाल ज़रूरत इस बात की है कि हुकूमत और महिकमा तालीमात के ओहदेदार ख़ाब-ए-ग़फ़लत से बेदार हूँ और पुराना शहर के गरीब तलबा के मुस्तक़बिल से खिलवाड़ ना करें उन्हें पढ़ाई के लिए अच्छी इमारतें और अच्छा माहौल फ़राहम करें ।