श्रीनगर: कश्मीर में तीन महीने से चल रही अशांति के बीच जहाँ लोगों का कारोबार, बच्चों की पढाई और अन्य सेवाएं प्रभावित हुई वहीँ शादियों का पारंपरिक मौसम प्रभावित हुआ है। ऐसे माहौल में एक पंडित जोड़ी की शादी कराने के लिए मुस्लिमों और सिखों ने हाथ बंटाकर सांप्रदायिक सौहार्द और भाइचारे का बेहतरीन उदाहरण पेश किया है।
तहाब गांव के आशू टिक्कू और लोसवाणी गांव की नीशू पंडिता से शादी में दोनों गैर प्रवासी परिवारों के साथ मुसलमान और सिख पड़ोसी शरीक हुए और शादी की तैयारी के हर काम में हाथ बंटवाया। शामियाना गाडऩे से लेकर विवाह की दावत के लिए प्रबंध करने, और कई प्रवासी पंडित रितश्तेदारों सहित मेहमानों के आवभगत तक कई कामों में मदद की।
शादी के दौरान पारंपरिक लोक गीत ‘वानवुन’ के दौरान जोड़ी परिजनों से ज्यादा मुसलमान महिलाएं वहां मौजूद थीं और पुरूष लोग दुल्हन के घर को सजा रहे थे। इन लोगों का कहना था कि वे सभी हमारे अपने लोग हैं और एक दूसरे की मदद करना हमारा फर्ज है। हमने कुछ अनोखा काम नहीं किया है।