नई दिल्ली: जामा मस्जिद यूनाइटेड फोरम के अध्यक्ष सैयद याहया बुखारी ने कहा कि आज जो लोग देश को एकजुट करने की बात कर रहे हैं उनका अतीत अगर देखें तो इनमें कई लोग ऐसे हैं जो अतीत में सांप्रदायिक समलैंगिक पार्टी को समर्थन देने की घोषणा कर चुके हैं। अब अगर असद ओवैसी इस गठबंधन में शामिल होने की बात करते हैं तो उनका राजनीतिक उद्देश्य है क्योंकि प्रदेश में अगले साल चुनाव होने वाले हैं लेकिन आजम खां के बाद समाजवादी पार्टी से जुड़े हैं तो वह क्यों इस गठबंधन में शामिल होंगे, वह अपनी राजनीतिक जीवन क्यों खराब करेंगे?।
राष्ट्र को एकजुट करने की बात अगर देर शाही इमाम मौलाना सैयद अब्दुल्ला बुखारी जैसी करती तो बात समझ में आती मगर आज कोई ऐसा व्यक्ति नजर नहीं आता। उन्होंने कहा कि पहले राजनीतिक दल खुद चलकर समर्थन की अपील करने आता था मगर आज कुछ लोग भीख का कटोरा लेकर राजनीतिक दलों के दरवाजे पर खड़े हैं।
ऐसे लोग जो राज्यसभा आदि की इच्छा रखते हैं वे राष्ट्र का भला कैसे कर सकते हैं। सैयद याहया बुखारी ने अहम सवाल उठाते हुए कहा कि अगर मान भी लिया जाए कि सभी एकजुट हो जाएं तो क्या इससे मुसलमानों को फायदा होगा? उन्होंने कहा कि कभी इस गठबंधन से मुसलमानों को कोई फायदा नहीं होगा बल्कि नुकसान ही होगा और इसके विपरीत सांप्रदायिक एकजुट हो जाएंगे। हालांकि इस संदेह से इनकार नहीं किया जा सकता है कि इस गठबंधन के पीछे भाजपा प्रेरित हो।
उन्होंने कहा कि आखिर जब उत्तर प्रदेश का चुनाव आता है तो उसी समय गठबंधन का शोशा क्यों छेड़ा जाता है। क्या अन्य राज्यों में मुसलमान नहीं रहते?। हाल ही में पांच राज्यों में चुनाव हुए हैं और तब यह गठबंधन क्यों याद नहीं आया। समाजवादी पार्टी के मुखिया मुलायम सिंह यादव और राजद प्रमुख लालू यादव ने राज्यसभा में किसी मुसलमान को प्रतिनिधित्व नहीं दिया जबकि वे मुसलमानों की राजनीति करते आए हैं, लेकिन मुसलमानों को प्रतिनिधित्व देने को कोई तैयार नहीं है।
सैयद याहया बुखारी ने कहा कि एक नेता है जिसे मैं सलाम करता हूँ और वह ममता बनर्जी हैं जिन्होंने मुसलमानों को बराबर का प्रतिनिधित्व किया। गठबंधन करने की कोशिश अगर असम में जाती तो वहाँ कभी भी भाजपा सत्ता नहीं आती।