भारतीय विचारधारा को बचाने के लिए बीजेपी को शिकस्त देंः पाॅपुलर फ्रंट

पाॅपुलर फ्रंट आफ इंडिया की राष्ट्रीय कार्यकारिणी परिषद की बैठक में पारित प्रस्ताव में जनता से यह अपील की गई कि वो देश के सेक्युलर व लोकतांत्रिक भविष्य की सुरक्षा के लिए आगामी लोकसभा चुनाव में बीजेपी को शिकस्त दें।

पिछले पांच सालों से हम इतिहास की बदतरीन सरकार के साए में जी रहे हैं। एनडीए सरकार हर पहलू से नाकाम रही है। इस सरकार की ग़लत पालिसियों और विभाजनकारी ताकतों के समर्थन के कारण लोगों को जिन समस्याओं का सामना करना पड़ा है, वैसा भारत के इतिहास में कभी नहीं हुआ। यह सरकार अल्पसंख्यकों, दलितों और नफरत की राजनीति का विरोध करने वाले लोगों को सुरक्षा प्रदान करने में पूरी तरह से असफल साबित हुई है। हिंदुत्व राजनीति पर सवाल उठाने वाले कई लोगों को हमलावरों के द्वारा मौत के घाट उतार दिया गया और उन हमलावरों को सरकार की तरफ से माफी दे दी गई। कई मुसलमानों की बेदर्दी से पीट-पीट कर हत्या कर दी गई। हिंदुत्व विचारधारा के अनुसार शिक्षा संस्थानों को साम्प्रदायिक रंग में रंगने और इतिहास से छेड़-छाड़ करने का अमल एक अंधकार भरे भविष्य का इशारा दे रहा है।

2014 के चुनाव से पहले मोदी ने जितने भी वादे किये वे सब के सब केवल खोखली बातें साबित हुईं। ‘अच्छे दिन’ का सपना दिखाकर सरकार में आने के बाद मोदी सरकार ने नोटबंदी और जीएसटी जैसी अपनी पालिसियों के द्वारा लाखों लोगों की रोज़ी रोटी छीन ली और देश की अर्थव्यवस्था को तबाही के मुंह में धकेल दिया। साथ ही रिज़र्व बैंक आॅफ इंडिया जैसी संस्था को भी बर्बाद करके रख दिया। मोदी सरकार से केवल काॅर्पोरेट घरानों और साम्प्रदायिक तत्वों को ही फायदा मिला है। भारत देश को एक सेक्युलर लोकतांत्रिक देश के रूप में बाकी रखने के लिए सरकार के इस डरावने सपने को कचरे के ढेर में फैंकना बहुत ज़रूरी है।

वहीं देखा जा रहा है कि विपक्ष और सेक्युलर पार्टियां एक तरफ जनता से लोकतंत्र और संविधान की रक्षा के लिए एक होने की बात करती हैं, लेकिन वे खुद कमज़ोरी और बिखराव का शिकार बनी बैठी हैं। एक साथ आने को लेकर उनकी हिचकिचाहट और एक दूसरे के खिलाफ उनकी लड़ाई से बीजेपी के लिए मैदान आसान होता जा रहा है। यहां तक कि एक बड़े खतरे के सामने होने के बावजूद भी फासीवाद को शिकस्त देने के लिए वे एक संयुक्त चुनावी रणनीति अपनाने की हालत में नज़र नहीं आ रही हैं। लेकिन फासीवाद के खिलाफ वैकल्पिक जन-राजनीति को बढ़ावा देने वाली सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी आफ इंडिया जैसे पार्टियों की मौजूदगी हौसले की निशानी है।

पाॅपुलर फ्रंट आफ इंडिया, जहां कहीं भी एसडीपीआई के उम्मीदवार हों वहां एसडीपीआई को वोट देने की अपील करता है। बैठक में दूसरे चुनाव क्षेत्रों में सबसे मज़बूत सेक्युलर उम्मीदवार को वोट देने की बात की गई, ताकि फासीवाद को हराया जा सके। एनईसी ने कहा कि सभी संभव चुनावी क्षेत्रों में साम्प्रदायिक फासीवाद की हार को सुनिश्चित करने में पाॅपुलर फ्रंट मुख्य भूमिका निभाएगा।

चेयरमैन ई. अबूबकर ने बैठक की अध्यक्षता की। महासचिव एम. मुहम्मद अली जिन्ना, उप-चेयरमैन ओ.एम.ए सलाम, सचिव अनीस अहमद व अब्दुल वाहिद सेठ के अलावा कार्यकारी सदस्य प्रो॰ पी. कोया, एड॰ यूसुफ मदुरई, यामुहियुद्दीन, मुहम्मद रोशन व अन्य बैठक में मौजूद रहे।