भारत की कठपुतली बना अमेरिका!

नरेंद्र मोदी के विदेशी दौरों की चर्चा भारतीय मीडिया में तो है ही, पाकिस्तानी मीडिया भी इससे अछूता नहीं रहा है। नरेंद्र मोदी अपनी ताजा विदेश यात्रा में अफगानिस्तान, कतर, स्विट्जरलैंड, अमेरिका के बाद मेक्सिको गए जहां से स्वदेश रवाना भी हो गए हैं। अमेरिकी संसद में बोले मोदी, ‘हमारे पड़ोसी देशों में पाला-पोसा जा रहा है आतंकवाद’ पाकिस्तानी मीडिया में इस यात्रा को लेकर गहरी दिलचस्पी है। मीडिया के एक हिस्से में जहां इसे पाकिस्तान को घेरने की भारतीय कोशिशों के तौर पर देखा जा रहा है, टीवी चैनलों पर आने वाले कई विश्लेषक नवाज शरीफ सरकार से कह रहे हैं कि वो भारतीय कोशिशों के जवाब में कदम उठाए। साथ ही पाकिस्तान में इस पर भी कयास लग रहे हैं कि क्या भारत अमेरिका, फ्रांस जैसे देशों की मदद और चीन, पाकिस्तान के विरोध के बावजूद न्यूक्लियर सप्लायर्स ग्रुप (एनएसजी) में शामिल हो पाएगा और अगर ऐसा होता है तो इसका पूरे क्षेत्र पर क्या असर पड़ेगा।

पाकिस्तान ने भी एनएसजी का सदस्य बनने के लिए लॉबी करना शुरू कर दिया है। एक तरफ अमेर‌िका ने साफ किया है कि वो एनएसजी में केवल भारत को सदस्यता दिलाने का इच्छुक है और वैश्विक परमाणु व्यवस्था में इस “असमान व्यवहार” का पाकिस्तान पर पड़ने वाले असर को नकारा जा रहा है।

भारत और अमेरिका के बीच समझौते से भारत को परमाणु ईंधन को सैन्य इस्तेमाल के लिए इकट्ठा करने में पाकिस्तान पर बढ़त हासिल हो सकती है। एनएसजी में भारत के शामिल होने में अभी वक्त बाकी है, साथ ही ओबामा और मोदी के बीच बातचीत के बाद कोई बड़ी एलान सामने नहीं आई है, लेकिन “पाकिस्तानी नीति निर्माताओं की ये कोशिश जरूर करनी चाहिए कि पाकिस्तान के साथ असमान व्यवहार के बाद ऐसा न हो कि ये देश कोई अविवेकी नीति चुने।” पाकिस्तान की दीर्घकालिक जरूरतों के लिए “ज्यादा से ज्यादा परमाणु हथियार- बड़े और छोटे, जवाब नहीं हैं, बल्कि जरूरत है क्षेत्रीय सहयोग की।”