नई दिल्ली। देश की 90 प्रतिशत महिलाएं और लड़कियां अपने जीवन में किसी न किसी रूप में यौन उत्पीड़न और छेड़छाड़ का शिकार होती हैं लेकिन वह इसकी शिकायत पुलिस से नहीं करती हैं और इसके खिलाफ आवाज नहीं उठाती हैं। महिलाओं की सुरक्षा के बारे में ‘केयर इंडिया’ नामक एक गैर सरकारी संगठन के सर्वेक्षण में यह बात सामने आई है। सर्वेक्षण के अनुसार 78 प्रतिशत महिलाओं को पुलिस हेल्पलाइन की जानकारी नहीं होती है। सार्वजनिक स्थान पर महिलाओं के साथ हो रहे यौन हिंसा के गवाह 88 प्रतिशत पुरुष भी होते हैं लेकिन वह चुपचाप उसे देखते रहते हैं. 65 प्रतिशत पुरुषों को महिला हेल्पलाइन की जानकारी नहीं होती है।
सर्वेक्षण के अनुसार 37 प्रतिशत शादीशुदा महिलाएं अपने पतियों से शारीरिक या यौन हिंसा का शिकार होती हैं। सर्वेक्षण में शामिल 42 प्रतिशत महिलाओं का मानना है कि पुरुष, महिलाओं के साथ छेड़छाड़ को मनोरंजन का साधन मानते हैं और 58 प्रतिशत महिलाओं का मानना है कि पुरुष हमेशा महिलाओं के साथ यौन संबंध बनाने को तैयार रहते हैं। सर्वेक्षण के अनुसार 53 प्रतिशत पुरुष महिलाओं को पंक्तियाँ या फुकरे कह कर यौन हिंसा का शिकार बनाते हैं जबकि 51 प्रतिशत पुरुष महिलाओं को घेरते हैं। सर्वेक्षण में शामिल 52 प्रतिशत छात्राओं को पुरुषों ने जबरन छूने, पकड़ने या मरोड़ने काटने की हरकतें की।
उल्लेखनीय है कि छेड़छाड़ के 52 प्रतिशत घटनायें बस स्टैंड पर हुए जबकि 32 प्रतिशत घटना स्कूल या कॉलेज के रास्ते में और 23 प्रतिशत घटनाएं तो स्कूल और कॉलेज परिसर में हुए। 44.6 प्रतिशत महिलाओं का कहना है कि उनके लिए कोई समय सुरक्षित नहीं है जबकि 46.9 फीसदी का मानना है कि अंधेरा होने पर उनके लिए पर्यावरण असुरक्षित हो जाता है, जबकि 82.5 प्रतिशत का मानना है कि शाम को वे सार्वजनिक स्थान पर सुरक्षित नहीं होते. छेड़छाड़ के 48 प्रतिशत घटना में शाम होते हैं जबकि 47 प्रतिशत घटनायें दिन में होते हैं। महिलाओं का मानना है कि 83.5 प्रतिशत बस स्टॉप उनके लिए सुरक्षित नहीं, इसी तरह 82.2 प्रतिशत रेलवे स्टेशन भी सुरक्षित नहीं और 82.2 प्रतिशत खुले शौचालय सुरक्षित नहीं हैं।