भारत की NSG सदस्यता अर्जी पर फैसला सोल बैठक में

परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह (NSG) में सदस्यता के लिए भारत की अर्जी पर दक्षिण कोरिया की राजधानी सोल में इस महीने के अंत में होने वाले NSG के पूर्ण अधिवेशन में विचार किए जाने की संभावना है। विएना में हुई NSG की दो दिवसीय बैठक में इस मुद्दे पर किसी निष्कर्ष पर न पहुंच पाने के बाद यह फैसला किया गया।

अमेरिका भारत की सदस्यता का पुरजोर समर्थन कर रहा है और ज्यादातर सदस्य देश भी समर्थन कर रहे हैं, लेकिन इसका विरोध कर रहे चीन की दलील है कि NSG को नए आवेदकों के लिए विशिष्ट शर्तों में ढील नहीं देनी चाहिए। NSG संवेदनशील परमाणु प्रौद्योगिकी तक पहुंच को नियंत्रित करता है।

परमाणु अप्रसार संधि (एन पी टी) पर भारत की ओर से दस्तखत न किए जाने को आधार बनाकर उसकी दावेदारी का विरोध करने वाले कई देशों ने भी अब अपना रूख नरम किया है और अब समझौता करने के लिए तैयार हैं। बहरहाल, चीन अपने रूख पर अड़ा हुआ है। विएना में हुई बैठक में चीन ने सीधे तौर पर तो भारत की सदस्यता का विरोध नहीं किया, लेकिन इसे एन पी टी पर दस्तखत न करने से जोड़ा।

NSG आम राय के आधार पर काम करती है और भारत के खिलाफ किसी एक देश का वोट भी उसकी दावेदारी में रोड़े अटका सकता है। 48 देशों के समूह NSG में चीन के अलावा न्यूजीलैंड, आयरलैंड, तुर्की, दक्षिण अफ्रीका और ऑस्ट्रिया भी भारत की दावेदारी के विरोध में हैं। सोल में 24 जून को NSG का पूर्ण अधिवेशन होने वाला है।