पीर के रोज़ मद्रास कोर्ट में एक हाईड्रामा हुआ जब जस्टिस सी.एस. करनन ने कहा कि उन्हें शर्म आती है कि वो एक ऐसे देश में पैदा हुए हैं जहाँ आज भी जाति व्यवस्था मौजूद है |
करनन ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि “भारत एक ऐसा राष्ट्र है जहाँ आज भी जातिवाद भेदभाव मौजूद है मुझे शर्म आती है की मैं ऐसे देश में पैदा हुआ हूँ मैं किसी ऐसे देश में जाना चाहता हूँ जहाँ इस तरह की जाति प्रथा न हो” |
उन्होंने कहा कि “मैं पूरी तरह निर्दोष हूं मैंने कुछ जजों के ख़िलाफ़ सवाल उठाया था जिसकी वजह से मैं जातिगत भेदभाव का शिकार हो गया हूँ” |
पिछले हफ्ते, चीफ़ जस्टिस की अध्यक्षता वाले जजों के एक पैनल ने आदेश दिया था कि जस्टिस करनन को कोलकाता हाईकोर्ट में ट्रांसफर किया जाए।
पिछले साल दिसंबर में जस्टिस करनन ने मद्रास हाईकोर्ट के चीफ़ जस्टिस संजय कौल के ख़िलाफ़ उत्पीडन का आरोप लगाया था |
करनन ने भी यह घोषणा की कि वह चेन्नई के पुलिस कमिश्नर की गिरफ्तारी के लिए SC/ST एक्ट के तहत एक न्यायिक आदेश जारी करेंगे सुप्रीम के दो जजों की पीठ ने आदेश दिया था कि जस्टिस करनन को कोई भी केस न दिया जाए |
जस्टिस ने कहा कि वह इन जजों के ख़िलाफ़ FIR दर्ज कराएँगे | उन्होंने इल्ज़ाम लगाया कि सुप्रीम कोर्ट ने उनकी दलीलें सुने बिना ही ट्रांसफर कर दिया है ,ये आदेश संविधान के ख़िलाफ़ है |
उन्होंने कहा कि मेरे मुद्दे को केन्द्रित नहीं करते हुए मुझे निशाना बनाया गया है मैं एक दलित हूँ इसलिए मेरे ख़िलाफ़ ये आदेश दिया गया है |