श्रीनगर: श्रीनगर संसदीय सीट के लिए होने वाले उपचुनाव के लिए अपना नामांकन करने के बाद एनसी अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला ने आज यहां पार्टी मुख्यालय नवाए सुबह परिसर में एक चुनावी सभा को संबोधित करते हुए कहा कि भारत में इस समय सांप्रदायिकता की आग लगी हुई है और इस आग को जम्मू-कश्मीर तक फैलने से रोकने के लिए धर्मनिरपेक्ष ताकतों को एकजुट होना होगा. अगर इस आग पर तुरंत काबू नहीं पाया गया तो ऐसे शोले भड़केंगे जो न केवल भारत बल्कि जम्मू-कश्मीर और सीमा पार तक जाएंगे. समय का तकाजा है कि धर्मनिरपेक्ष ताकतें एकजुट होकर जम्मू-कश्मीर को सांप्रदायिकता की आग की भेंट चढ़ने से बचाएं.
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, फारूक अब्दुल्ला ने कहा कि हमने पहले भी कहा था कि पीडीपी हिंदू सांप्रदायिक पार्टी आरएसएस की पीदवार है और आज हमारी कही हुई सारी बातें सही साबित हुईं हैं. उन्होंने कहा कि पीडीपी ने इतना आत्म समर्पण के साथ आरएसएस के आदेशों पर अमल किया कि अब भाजपा कलम दवात वालों के लिए चुनाव अभियान चला रही है. फारूक अब्दुल्ला ने कहा कि लोगों को इस बार वोट डालने से पहले गंभीरता से विचार करना होगा कि वह कश्मीर को आरएसएस की झोली में डालना चाहते हैं या फिर सांप्रदायिकता से निजात पाने के लिए अपनी मताधिकार का उपयोग करना चाहते हैं.
उन्होंने भारत और पाकिस्तान की दोस्ती पर जोर देते हुए दोनों देशों से अपील की कि वे आपस में मिल जाएं और कश्मीरियों को बेचैनी के भंवर से हमेशा हमेशा के लिए मुक्ति दिलाएं.
कांग्रेस नेता और पूर्व सांसद तारिक हमीद ने अपने भाषण में इस बात का खुलासा किया कि उन्होंने पीडीपी को अलविदा क्यों कहा. उन्होंने कहा कि मैं ने मुफ्ती साहब को पहले दिन से ही कहा कि भाजपा के साथ गठबंधन करना कश्मीरियों के साथ धोखाधड़ी होगी, क्योंकि भाजपा वास्तव में आरएसएस की शाखा है और आरएसएस न केवल भारत के मुसलमानों की सबसे बड़ी दुश्मन पार्टी है बल्कि कश्मीर की विशिष्टता, एकजुटता और विशेष दर्जा भी इस पार्टी को पहले से ही खटकती रही है.
उन्होंने कहा कि पीडीपी ने जिस भाजपा के साथ गठबंधन किया है उसी भाजपा ने भारत के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश में आरएसएस के ऐसे सांप्रदायिक नेता को मुख्यमंत्री बना डाला, जिसने अपने भाषण में कहा था कि मुर्दा मुस्लिम महिलाओं को भी नहीं छोड़ना चाहिए और उनका भी बलात्कार करना चाहिए. पीडीपी वालों का ज़मीर अगर थोडा भी बेदार होता तो अब की बार वे भाजपा से किनारा कर लेते, लेकिन सत्ता के लालच में कलम दवात वालों के ज़मीर मुर्दा गए हैं.