नई दिल्ली: बीएसपी अध्यक्ष मायावती ने आरोप लगाया है कि ‘‘भीमा कोरेगाँव शौर्य दिवस” के 200वीं सालगिरह के मौके पर दलित समाज के लोगांे पर ‘‘भगवा झण्डाधारियों” द्वारा किया गया हमला, हिंसा व दंगा दलित स्वाभिमान को कुचलने का फासीवादी प्रयास है जिसके सम्बंध में दोषियों को सख़्त कानूनी सजा देने के साथ-साथ इस शर्मनाक घटना की जितनी भी निन्दा व भत्र्सना की जाये वह कम है।
मायावती ने कहा कि महाराष्ट्र में बीजेपी की साजिश व संलितप्ता का ही परिणाम है कि उत्तर प्रदेश में सहारनपुर ज़िला के शब्बीरपुर गाँव की तरह ही महाराष्ट्र में पुणे के भीमा कोरेगाँव में जातीय संघर्ष कराने का प्रयास किया गया।
हालाँकि यह सर्वविदित था कि भीमा-कोरेगाँव शौर्य दिवस की 200वीं वर्षगांठ के मौके पर दलित समाज के लोग बहुत बड़ी संख्या में भीमा-कोरेगांव पहुँचने वाले हैं और आशा के अनुरुप लाखों दलित वहाँ शौर्य भूमि पहुँचे। उन लोगों को सुरक्षा व जनसुविधा देने के बजाय ‘‘भगवा ब्रिगेड” के लोगों ने इन्हीं लोगों पर ही हमला कर दिया। ऐसा बीजेपी सरकार की साजिश व संरक्षण के बिना सम्भव ही नहीं है। इस मामले में महाराष्ट्र सरकार द्वारा न्यायिक जाँच का आदेश सिर्फ दिखावटी है व लोगांे की आँखों मंे धूल झोंकने का प्रयास है।
बीएसपी प्रमुख ने कहा कि महाराष्ट्र के महार समाज के लोग युद्धक रहे हैं और इसी कारण ब्रिटिशकाल में उन्होंने सेना में रहकर काफी शौर्य अर्जित किया। यह सब इतिहास में किसी से भी छिपा हुआ नहीं है। इसी क्रम में बाबा साहेब डा. भीमराव अम्बेडकर के अनुयायी, हर वर्ष पुणे के भीमा-कोरेगाँव स्थित ‘‘शौर्य भूमि” जाकर हर वर्ष अपने बुजुर्गांे व देश के वीर सैनिकों को श्रद्धा-सुमन अर्पित करते हैं जिन्होंने आज से 200 वर्ष पहले युद्ध में अपनी शहादत दी थी।
इस वर्ष इसका विशेष आयोजन था, लेकिन जातिवादी लोगों को दलितों का यह आत्म-सम्मान व स्वाभिमान का प्रयास पसन्द नहीं आया और उन्होंने हिंसा फैलाई और महाराष्ट्र की बीजेपी सरकार ख़ामोश तमाशायी बनी रही। अगर राज्य सरकार इस मामले में थोड़ा भी संवेदनशील व ज़िम्मेदार होती तो यह भगवा-प्रायोजित हिंसा कभी नहीं होती।
इस घटना में मृतक युवक के परिवार के प्रति गहरा शोक व दुःख व्यक्त करते हुये सुश्री मायावती जी ने कहा कि मृतक परिवार की हर सम्भव मदद के साथ-साथ इस घटना में घायल सभी लोगांे की भी समुचित सहायता सरकार को तुरन्त करनी चाहिये तथा प्रथम दृष्टया दोषी लोगों के खिलाफ सख्त कानूनी तत्काल करनी चाहिये ताकि जातिवादी लोग ऐसी दुस्साहस दोबारा नहीं कर सकंे लेकिन सरकार के रवैये को देखते हुये इसकी उम्मीद कम ही नजर आती है।
इस ‘‘भीमा कोरेगाँव शौर्य भूमि” का खासकर दलित समाज में विशेष महत्त्व है और इसी के मद्देनज़र स्वयं परमपूज्य बाबा साहेब डा. भीमराव अम्बेडकर दिनांक 1 जनवरी सन 1927 को यहाँ अपना श्रद्धा-सुमन अर्पित करने आये थे जिसके बाद से इस स्थल का महत्त्व दलित स्वाभिमान से और भी ज्यादा बढ़ गया था।
उन्होंने कहा कि वैसे भी यह सर्वविदित ही है कि विभिन्न राज्यों में बीजेपी के वर्तमान शासनकाल में दलितों पर बर्बर जातिवादी व्यवहार व जुल्म-ज्यादती आदि की जितनी भी दर्दनाक घटनायें राष्ट्रीय स्तर पर चिन्ता का कारण बनी है उनमें से भी किसी मामले में दलितों को न्याय नहीं मिल पाया है और ना ही दोषियों को सख्त सजा ही मिल पायी है, जिसका ही परिणाम है कि बीजेपी के ऐसे जातिवादी तत्वों के हौंसले काफी ज्यादा बुलन्द हैं और वे लोग कानून-व्यवस्था को अपना बंधक बनाकर रखे हुये हैं, जो देश के लिए बड़ी शर्म व चिन्ता की बात है लेकिन फिर भी बीजेपी की सरकारें इससे बेपरवाह व गै़र-जिम्मेदार बनी हुई हैं। इन मामलों में बीजेपी के शीर्ष नेतृत्व का रवैया और भी ज्यादा लापरवाह दिखाई पड़ता है।