भूख से तड़प-तड़प कर 5 साल के बच्चे की मौत

अंबिकापुर: छत्तीसगढ़ के अंबिकापुर में एक बच्चे की भूख की वजह से मौत हो गई है. लोग इस मौत का जिम्मेदार सूबे की रमन सरकार को ठहरा रहे हैं. बताया जा रहा है कि राशन कार्ड रद्द किये जाने के बाद से खानदान दाने-दाने को मोहताज हो गया है.

सरगुजा जिले के मैनपाट विकासखंड हेडक्वार्टर के साकिन उम्र पांच साल के बच्चे की भूख से हुई मौत ने सभी को दहला दिया है. मामले की जांच के लिए कांग्रेस ने जहां कमीशन तश्कील की है वहीं इंतेज़ामिया भी हरकत में आया है. हफ्ते के रोज़ लापता फौतशुदा बच्चे के बड़े भाई को सीतापुर से बरामद कर लिया गया.

कलेक्टर के हुक्म पर ओहदेदारों ने फौतशुदा बच्चे के घर पहुंच बयान दर्ज किया. माझी कबायली के इस गरीब खानदान का राशन कार्ड के तस्दीक के दौरान 10 माह पहले इंतेज़ामिया ने रद कर उन्हें दाने-दाने को मोहताज कर दिया. मामले में जिम्मेदारी लेने के लिए न तो जिले के ओहदेदार तैयार हैं न इलाके के आवामी नुमाइंदे.

दाने-दाने को मोहताज खानदान का सरबराह अपने तीन मासूम बच्चों के साथ काम की तलाश में पैदल ही सीतापुर इलाके में पहुंच गया था और वहां भी उम्मीद नहीं दिखने पर वे वापस लौट रहे थे. फौतशुदा बच्चे का सबसे बड़ा भाई ( 9 साल ) को हफ्ते के रोज़ सीतापुर पुलिस ने पहचान वाले के घर से बरामद कर लिया है.

इत्तेला के मुताबिक Development block मैनपाट के नर्मदापुर खालपारा के साकिन संगतराम मांझी अपने तीनों बेटों राजाराम 9 साल, सरवन 6 साल और शिवकुमार 5 साल के साथ रोजी-रोटी की तलाश में मंगल के रोज़ पैदल ही सीतापुर आया था. संगतराम के बीवी की करीब तीन साल पहले मौत हो चुकी है और बच्चों की परवरिश संगतराम माझी ही करता था.

संगत राम माझी मजदूरी कर खानदान की परवरिश कर रहा था. उसके खानदान की मुसीबत राशन कार्ड की तस्दीक के दौरान बढ़ गई जब उसके राशन कार्ड को रद कर दिया गया. राशन कार्ड में तो राशन कार्ड तस्दीक के लिए पहुंचे Taxation officer केके देवांगन की टीम ने तस्दीक कर दिया,लेकिन फुड डिपार्टमेंट के नेट की फहरिस्त में राशन कार्ड को रद्द बता कर काट दिया गया. इससे पूरा खानदान दाने-दाने को मोहताज हो गया. मजदूरी की खोज में संगतराम अपने तीन बच्चों के साथ पैदल ही सीतापुर अपने पहचान वाले धनसू माझी के घर पहुंचा.

धनसू माझी सीतापुर में मजदूरी करता है. धनसू माझी ने संगतराम को बताया कि सीतापुर में फिलहाल कोई काम नहीं है तो वह अपने तीन बच्चों के साथ पीड़िया जाने के लिए निकला,लेकिन रास्ते में बच्चे भटक गए. संगतराम की ज़हनी हालत पूरी तरह से ठीक नहीं होने के कारण वह बच्चों की निगरानी नहीं कर सका और बच्चे जंगल में भटक गये दो बच्चे सरवन और शिवकुमार कतकालो डूमरपारा पहुंच गए.

ज्यादा रात होने की वजह से दोनों सुनसान इलाके में वाके सेमर पेड़ के नीचे पड़े रहे. जुमे के रोज़ सुबह शिवकुमार की भूख से मौत हो गई और वहीं उसके भाई सरवन की हालत नाज़ुक थी.

गांव की एक खातून ने उन्हें देखकर कारकुन रीतेश गुप्ता (Information Multipurpose Health Workers) को दी. गांव वालो ने मासूम सरवन को खाना खिलाया और उसकी देखभाल शुरू की. उसे बाद में अस्पताल में शिफ्ट किया गया.

ज़िंदा बचे सरवन के मुताबिक उसके छोटे भाई शिवकुमार ने उससे खाना-पानी मांगा था लेकिन उसकी भी हालत खराब हो चुकी थी. इसी बीच शिवकुमार भूख से तड़पने लगा और उजाला होने से पहले उसकी सांसे थम गई.

बताया जाता है कि रियासत के अंबिकापुर जिले के मैनपाट के सीतापुर के रहने वाले संगत राम अपने तीन बच्चों के साथ रोजी रोटी की तलाश में पंड़िया गांव के लिए निकले थे.

चिलचिलाती गर्मी में वो अपने तीन बच्चों शिवकुमार (उम्र 4 साल), श्रवण (उम्र 6 साल) और राजा राम (उम्र 8 साल) को साथ लेकर जा रहा था. पड़िया गांव जाने के लिए वे बस से उतरने के बाद 2 किलोमीटर पैदल जा रहे थे.

रास्ते में अंधेरा होने की वजह से संगतराम और राजाराम आगे निकल गए जबकि शिवकुमार और श्रवण पीछे छूट गए. दोनों छूटे हुए बच्चे अपने वालिद को ढूंढ़ने के लिए पगडंडी के रास्ते से भूखे प्यासे भटक रहे थे.

दोनों बच्चे जंगल में अपने भाई और वालिद को ढूंढ़ते हुए जंगल में पगडंडी के रास्ते मुसलसल 40 घंटे का सफर करते रहे. चिलचिलाती गर्मी में दोनों बच्चे डूमरपारा के पास एक पेड़ की छांव में आकर बैठ गए, जिसके बाद शिवकुमार अपने बड़े भाई श्रवण से खाना मांगने लगा, लेकिन श्रवण उसे खाना नहीं दिला सका.

भूख प्यास से बेचैन शिवकुमार मुसलसल अपने हाथ पांव जमीन पर पटक रहा था और कुछ देर बाद उसकी मौत हो गई. अपने भाई की मौत के कुछ देर बाद ही श्रवण भी बेहोश हो गया. दोनों इसी हालात में पूरी रात सूनसान जंगल में पड़े रहे.

अगले दिन सुबह एक खातून की नजर इन बच्चों पर पड़ी.उसके बाद उसने पुलिस और रितेश गुप्ता को इतेला दी. जिसके बाद सीतापुर थाने से थाना इंचार्ज समेत पुलिस फोर्स मौके पर पहुंची.

बेहोश श्रवण को थाने लाकर खाना खिलाया गया. श्रवण बुखार से मुतास्सिर था, जिसकी देखभाल हेल्थ कारकुन रितेश ने की.पुलिस ने शिवकुमार के लाश का टेस्ट कराने के बाद उसकी लाश घर वालों को दे दिया.

टेस्ट के दौरान यह पाया गया की उसका पेट पूरी तरह से खाली था. उसकी अतड़िया सूख गई थी. डा0 शिवनारायण ने कहा कि टेस्ट के दौरान बच्चे का पेट पूरी तरह से खाली था. शदीद गर्मी और लू के दौरान उसने कुछ नहीं खाया था.

टीआई सीतापुर विनोद अवस्थी के मुताबिक फौतशुदा बच्चे के जिस्म पर चोट के कहीं कोई निशान नहीं है. शायद बच्चे की मौत भूख और गर्मी से हुई है. उन्होंने बताया कि फौतशुदा बच्चे के भाई श्रवण का भी हेल्थ टेस्ट कराया गया है और वो अभी सेहतमंद है.

वहीं मामले में हड़कंप मचने के बाद हफ्ते के रोज़ कलेक्टर की हिदायत पर फौतशुदा बच्चे के लापता बड़े भाई राजाराम 9 साल की खोजबीन शुरू की गई और उसे सीतापुर में धनसू राम के घर से बरामद कर लिया गया. वहीं डिप्टी कलेक्टर और उज्जवल पोरवार समेत श्रीरवि (Department of Women and Child Development Project Officer) , सतपाल सिंह (Food inspector) समेत ज़िले के सदर अटल यादव व आफीसर फौतशुदा बच्चे के घर पहुंचे.