भोपाल एनकाउंटर, जिसमें कथित रूप से जेल तोड़कर भाग निकले आठ सिमी कार्यकर्ताओं को मार गिराया गया, उसको दो सप्ताह हो चुके हैं । लेकिन मारे गए कार्यकर्ताओं में से पांच के शहर खंडवा, मध्य प्रदेश में मुस्लिम समुदाय में अभी भी गुस्सा मौजूद है ।
2 नवंबर को इन पांच सिमी कार्यकर्ताओं के अंतिम संस्कार में हजारों लोगों ने हिस्सा लिया और राज्य सरकार और पुलिस के खिलाफ नारेबाजी की थी। उत्तेजित शोकाकुल लोगों ने शहर के तपलचाल इलाके में पथराव भी किया, यह इलाका महान गायक किशोर कुमार का जन्मस्थान होने के लिए जाना जाता है।
अकील अशरफ, एक प्रमुख कार्यकर्ता ने कहा कि विवाद में डूबे मुठभेड़ ने स्थानीय मुसलमानों के बीच अलगाव की भावना को गहरा कर दिया है । “समस्या यह है कि एक धारणा बनाई जा रही है कि मुसलमान का मतलब आतंकवादी और इस मुठभेड़ जैसी घटनाओं से समुदाय के सदस्यों के बीच अलगाव की भावना और बढ़ रही है। जिस तरह से मीडिया पूरे प्रकरण कवर किया वह भी चिंताजनक है। मुझे लगता है कि भोपाल मुठभेड़ से मुस्लिम युवकों के बीच में कट्टरता को बढ़ावा मिलेगा, “उन्होंने कहा।
खंडवा में वकील और समुदाय के एक प्रमुख सदस्य, जावेद चौहान ने कहा कि मुस्लिम युवाओं में असंतोष और क्रोध इस मुठभेड़ के लिए एक प्रतिक्रिया थी। “जब हमने शव प्राप्त किये, तब गोली के घाव देखकर यह स्पष्ट था कि पुलिस का इरादा मारने के लिए ही था। पुलिस ने मुठभेड़ के लिए सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देशों का उल्लंघन किया था, “उन्होंने कहा।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता रियाज हुसैन ने कहा कि अक्टूबर 31 की हत्याओं से सांप्रदायिक तनाव को बढ़ावा मिला है। “पूरी घटना की निष्पक्ष जांच होनी चाहिए और अगर जांच के नाम पर केवल औपचारिकताएं हुई तब वह अधिक असंतोष पैदा करेगा,” उन्होंने कहा।
स्थानीय लोगों का कहना है कि खंडवा हमेशा से एक सांप्रदायिक बारूद पर बैठा शहर रहा है। बाबरी मस्जिद विध्वंस के बाद भी यहाँ दंगे हुए थे। शहर की 2 लाख की आबादी का लगभग 30% मुसलमान हैं, जबकि पूरे मध्य प्रदेश में सिर्फ 8% मुसलमान हैं। हाल के इतिहास पर अगर नजर डालें तो पता चलता है कि मुश्किल से कोई ऐसा जुलूस होगा, चाहे हिन्दू या मुस्लिम, जो शांति से शहर में गुज़रने दिया गया हो। एक पुलिस अधिकारी ने बताया, “हिंदु और मुसलमान धार्मिक जुलूस के आयोजन में एक दूसरे को पछाड़ने की कोशिश करते हैं और दोनों पक्षों की इसी प्रतिस्पर्धा का फायदा उठा कर असामाजिक तत्व माहौल ख़राब करते हैं”।
मुठभेड़ में हुयी मौतों ने भावनाओं को भड़का दिया है और सार्वजनिक आलोचना के बाद राज्य सरकार ने न्यायिक जांच का आदेश दिया है। कार्यकर्ताओं और सिमी कार्यकर्ताओं के वकीलों का कहना मुठभेड़ फर्जी है। इस मुठभेड़ के कई ऑडियो और वीडियो भी सामने आये हैं जो यह सुझाते हैं कि सिमी कार्यकर्ताओं की निर्दयता से हत्या की गयी है । इन ऑडियो और वीडियो से जनता का मुठभेड़ पर संदेह और गहरा हो गया है।
मौलवी सैयद अंसार अली ने कहा कि घटना की निष्पक्ष जांच मुस्लिम युवकों को कट्टरपंथ की तरफ जाने से रोकने के लिए इकलौता रास्ता है। “मुस्लिम युवाओं के बीच असुरक्षा ज़रूर है, लेकिन मैं किसी भी तरह की कट्टरता नहीं देख पा रहा हूँ। मैं दक्षिणपंथी समूहों के छोटे नेताओं से कहना चाहता हूँ कि उन्हें उत्तेजक बयान देने बंद कर देना चाहिए। समस्या यह है कि हर इंसान बुद्धिमान और शिक्षित नहीं है और साथ ही टीवी और मीडिया का हम पर प्रभाव बहुत ज्यादा है जो एक बड़ी समस्या है, “उन्होंने कहा।
हालांकि पुलिस इस बात पर जोर दे रही है कि खंडवा में स्थिति नियंत्रण में है। “हाँ, शवयात्रा के दौरान तनाव में था, लेकिन अब चीजें सामान्य हैं। वर्तमान में, खंडवा में सिमी के सक्रिय होने का कोई सबूत नहीं है, “अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक (एएसपी) गोपाल खंडेल ने बताया।