भोपाल गैस कांड के मुतास्सिरों के जख्म अब भी हरे हैं। मुतास्सिरों के खानदान वाले कहते हैं कि 2-3 दिसंबर 1984 को यूनियन कार्बाइड कंपनी ने जो जख्म दिए उससे सैकड़ों खानदान की कई पीढ़ियां बर्बाद हो गईं।
आज भी गैस प्लांट के करीब के गांवों में बच्चे माज़ूर पैदा होते हैं। मुतास्सिरों को इंसाफ की आस थी, लेकिन 25 साल बाद भी मायूसी हाथ लगी।