भोपाल में RSS दफ्तर की सुरक्षा हटी दिग्विजय सिंह दिखे नाखुश!

मध्यप्रदेश में लोकसभा चुनाव से ठीक पहले राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के दफ्तर से हटाई गई सुरक्षा को लेकर विवाद पैदा हो गया है. बीजेपी ने तो कांग्रेस  सरकार को घेरा ही वरिष्ठ कांग्रेसी और पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने भी इसे गैरजरूरी बताया. इसके बाद कमलनाथ सरकार ने अपने फैसले को पलटते हुए पुरानी सुरक्षा व्यवस्था बहाल करने का निर्देश जारी कर दिया.

भोपाल में अरेरा कॉलोनी के मकान नंबर 187 के बाहर चौबीसों घंटे स्पेशल आर्म्ड फोर्स के चार जवान पहरा देते थे. मकसद था भोपाल में आरएसएस  दफ्तर समिधा की सुरक्षा. सोमवार देर रात यह पहरा हट गया तो सियासी सिपाही मैदान में डट गए. नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव ने कहा, ‘कोई घटना घटित होती है सिमी या किसी आतंकी संगठन द्वारा, तो मैं यह मानकर चलता हूं कि इसमें कांग्रेस (Congress) का हाथ हो सकता है.’ वहीं पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का कहना था ‘ऐसे सुरक्षा नहीं हटानी चाहिए. सरकारें बदलने से कोई सुरक्षा नहीं बदलती. लेकिन ये छोटे मन वाला घटिया फैसला है, जिसकी मैं निंदा करता हूं.’
विपक्षियों ने तो सवाल उठाए ही पूर्व मुख्यमंत्री और भोपाल से लोकसभा प्रत्याशी दिग्विजय सिंह ने भी फैसले की आलोचना की और संघ कार्यालय की सुरक्षा बहाल करने की अपील की. बैकफुट पर आई कांग्रेस बचाव की मुद्रा में दिखी. कांग्रेस प्रवक्ता रवि सक्सेना ने कहा आरएसएस (RSS) को सुरक्षा दी जाए, यह सबको स्वीकार करना चाहिए. दिग्विजय सिंह ने जो कहा है इसका सबको स्वागत करना चाहिए.

राज्य में इस फैसले को राजनीतिक तूल पकड़ते देख मुख्यमंत्री ने दोबारा सुरक्षा व्यवस्था बहाल करने के निर्देश दिए. एएसपी अखिल पटेल ने कहा ‘चुनाव के वक्त गार्डों को दूसरी जगहों पर भी भेजना है इसलिए छह जगहों से सुरक्षा हटाई गई है, फिर से समीक्षा चल रही है संवदेनशील जगहों पर फिर से सुरक्षा दी जाएगी.’

वैसे इस पूरे मामले में दिग्विजय सिंह के स्टैंड को जानकार चुनावों से जोड़ रहे हैं. भोपाल लोकसभा सीट 30 सालों से बीजेपी के पास है लिहाजा उनकी पूजा-पाठ की तस्वीरें तो आ ही रही हैं गाहे बगाहे संघ को लेकर उनके गर्म तेवर भी नरम नजर आ रहे हैं. कुछ दिनों पहले उन्होंने कहा था ‘मैं हिन्दू हूं. संघ खुद को हिन्दू का संगठन कहता है. कहता है हम राजनीति में नहीं हैं, सांस्कृतिक संगठन हैं, हिन्दुओं का हितैषी है. तो मुझसे किस बात का बैर है.’

दिग्विजय सिंह ने पहले कहा था कि उनकी पसंद परंपरागत राजगढ़ सीट है, लेकिन कमलनाथ ने उन्हें कठिन सीट से लड़ने की नसीहत देकर भोपाल से उतार दिया जो पिछले 30 सालों से बीजेपी का गढ़ रहा है.