नई दिल्ली, 12 फरवरी: विश्व हिंदू परिषद की गुज़ारिश के बावजूद बीजेपी अब राम मंदिर की ओर नहीं लौटती दिख रही है। दिल्ली में एक से तीन मार्च तक कौमी कारगुज़ार (National Executive) व कौमी काउंसिल की इजलास में पार्टी राम मंदिर की बजाए हिंदू दहशतगर्द के मुद्दे पर ज्यादा जोर देती दिखेगी।
दहशतगर्द अजमल कसाब और अफजल गुरु को फांसी मिल जाने के बाद वैसे भी बीजेपी के हाथ से दहशतगर्द का मुद्दा अलग होता दिख रहा है, ऐसे में माना जा रहा है कि अब बीजेपी हिंदू दहशतगर्द के मसले पर यूपीए हुकुमत खासतौर पर वज़ीर ए दाखिला सुशील कुमार शिंदे को घेरेगी।
दो दहशतगर्दों को फांसी के फंदे तक पहुंचाने के बावजूद शिंदे को बीजेपी माफ करने को तैयार नहीं है। पार्टी के लीडर प्रकाश जावडेकर ने कहा कि शिंदे पर बीजेपी का रुख कायम है औरअफजल को फांसी तो आवाम के दबाव में दी गई। बीजेपी के इस रुख से वाजेह है कि अब वह हिंदू दहशतगर्द के मुद्दे को छोड़ने नहीं जा रही है।
ज़राए के मुताबिक काउंसिल की मीटिंग में पेश होने जा रहे सयासी तजवीज़ में हिंदू दहशतगर्द का मसला शामिल रहेगा।
दरअसल, लोकसभा इलेक्शन को करीब देख रही बीजेपी का पूरा तवज्जा (ध्यान) अब तरक्की और हुकूमत पर ज्यादा है। इसलिए सयासी तजवीज़ में पहले की तरह राम मंदिर का जिक्र भर रहेगा और इसमें अयोध्या में राममंदिर की तामीर का इरादा जताया जाएगा। दूसरी तजवीज़ मुल्क की मआशी ( Economy) पर रहेगी। इसमें बदहाल मआशी से लेकर महंगाई वगैरह के मुद्दों पर यूपीए हुकूमत को कटघरे में खड़ा करने की कोशिश की जाएगी।
चूंकि उन दिनों संसद का बजट सेशन भी जारी रहेगा। इसलिए बीजेपी का पूरा ध्यान यूपीए हुकूमत को घेरने में रहेगा। इसलिए सदर राजनाथ सिंह के साथ साबिक सदर नितिन गडकरी, सीनीयर लीडर लालकृष्ण आडवाणी, डॉ मुरली मनोहर जोशी. वैंकेया नायडू, लोकसभा में अपोजिशन की लीडर सुषमा स्वराज व राज्यसभा में अपोजिशन के लीडर अरुण जेटली के तकरीरों में लगभग सभी बातें आ जाएंगी। इसलिए पार्टी मज़ीद तजवीज़ लाने के हक में नहीं है।
—-बशुक्रिया: अमर उजाला