मआशी बोहरान के बाद हालात में बेहतरी मुम्किन

डाउस,28 जनवरी: (पी टी आई) आलमी मईशत अपने बदतरीन बोहरान के बाद बेहतर हालत में आसकती है लेकिन ये वक़्त आराम का नहीं और हुकूमतों ओर‌ तिजारती बिरादरी को चाहीए कि रोज़गार के मोक़े, आमदनी और जिन्सी मुसावात के साथ साथ नौजवानों की तवक़्क़ुआत को पेशे नज़र रखते हुए तरक़्क़ी पर तवज्जा मर्कूज़ करें।

वर्ल्ड इकनॉमिक फ़ोर्म के सालाना इजलास में 1600 से ज़ाइद तिजारती सरबराहान, तक़रीबन 50 सरकारी सरबराहान और मुख़्तलिफ़ शोबा‍ए हयात से ताल्लुक़ रखने वाले एक हज़ार से ज़ाइद क़ाइदीन ने इजलास के इख़तेताम पर ये पयाम दिया है। ये इजलास सोइज़ अल्पाइन स्काई रेज़ारिट में मुनाक़िद हुआ।

आलमी मआशी फ़ोर्म के इजलास का 22 जनवरी को आग़ाज़ हुआ था और आज इख़तेताम अमल में आया जिस में मुख़्तलिफ़ मुमालिक जैसे रूस, इंडोनेशिया, जुनूबी अफ़्रीक़ा और मलाईशीया ने कई टरीलीन डॉलर्स की सरमाया कारी को राग़िब करने की भरपूर हिमायत की जबकि चीन एक बड़ी उभरती हुई मईशत के तौर पर सामने आया है। दूसरी तरफ़ हिन्दुस्तान ने भी अपनी मौजूदगी का भरपूर एहसास दिलाया और इस मुल्क के 150 से ज़ाइद सरकरदा ताजरीन, 4 मर्कज़ी वुज़रा और दीगर ने शिरकत करते हुए करप्शन से लेकर पालिसी तात्तुल और दीगर मौज़ूआत का अहाता किया।

हिन्दुस्तानी क़ाइदीन का ये मौक़िफ़ था कि इस्लाहात के एजंडे पर अमल तेज़ी से जारी है और हिन्दुस्तान एक मुस्तहकम मआशी क़ुव्वत बन्ने की पूरी सलाहीयत रखता है। ये भी कहा गया कि करप्शन उस वक़्त दुनिया भर में फैल गया है और कोई भी मुल्क से बचा हुआ नहीं है। पाँच रोज़ा इजलास के आज इख़तेताम पर मुल्क के सरकरदा मआशी क़ाइदीन ने कहा कि ये वक़्त आराम का नहीं है और हमें बहुत कुछ काम करने हैं, बिलखुसूस हुकूमत और कॉरपोरेट इदारों को चाहीए कि तरक़्क़ी के अमल में तेज़ी लाएंगे और मईशत का अहया करें।

इंटरनैशनल माईनेटरी फ़ंड की सरबराह क्रिस्चियन लगारड ने कहा कि दुनिया भर के मुमालिक और क़ाइदीन को चाहीए कि आराम मना है उसूल पर अमल पैरा हों और जारीया कोशिशों में किसी किस्म का तसाहुल ना बरतें। उन्होंने कहा कि इस उसूल पर अमल पैरा होना इस लिए ज़रूरी है कि 2013 में मईशत के ताल्लुक़ से जो पेश क़ियासी की गई है वो इंतिहाई नाज़ुक है।

इस लिए वो तमाम पर ज़ोर दे रही हैं कि ज़रा भी तसाहुल या ग़फ़लत का मुज़ाहिरा ना करें। सोइज़ बैंकिंग के सब से बड़े इदारा यू बी इसके सदर नशीन एक्सल वेबर ने कहा कि उन्हें ये ख़ौफ़ है कि 2013 भी 2012 का इआदा होगा। गुज़िश्ता साल की शुरूआत भी बेहतर अंदाज़ में हुई थी लेकिन हालात बाद में अबतर होते चले गए।

उन्होंने कहा कि डाउस में जो सूरत-ए-हाल देखी जा रही है, वो अगरचे बेहतर है लेकिन उसे हक़ीक़ी शक्ल देने के लिए ठोस इक़दामात की ज़रूरत है। आलमी बैंक के सरबराह जमयूवांगकम ने ग़ुर्बत और बेरोज़गारी का मसला पेश करते हुए कहा कि ग़ुर्बत के ख़ातमे के लिए इक़दामात ज़रूरी हैं।

इस के साथ साथ तरक़्क़ी और ख़ुशहाली में ख़वातीन और मुस्तक़बिल की नसलों को भी साझेदार बनाया जाना चाहीए। उन्होंने कहा कि कई तरक़्क़ीयाफ़ता मुमालिक में उस वक़्त तरक़्क़ी की रफ़्तार माकूस है जिस की वजह से रोज़गार के मोक़े भी कम होरहे हैं। उन्होंने इंटरनैशनल लेबर आर्गेनाईज़ेशन के हवाले से बताया कि दुनिया भर में 75 मुलय्यन से ज़ाइद नौजवान काम की तलाश में हैं।