मआशी सुस्त रवी(economic depression) पर क़ाबू पालिया गया आइन्दा छह महीने मे इस्तिहकाम

मुल़्क की मईशत आइन्दा छह महीने में बदल होने लगेगी क्योंकि पिछले कई महीनों से जारी सुस्त रवी पर क़ाबू पालिया गया है । मंसूबा बंदी(योजना आयोग) कमीशन के नायब सदर नशीन मिस्टर मोनतेक सिंह अहलुवालिया ने आज ये बात कही । मिस्टर अहलुवालिया ने बैंक और फ़ैनेनशील टाईम्स की तरफ‌ से रखी गई बैंकिंग चोटी कान्फ़्रैंस से ख़िताब करते हुए कहा कि ये हमारी उम्मीद है कि जारीया साल के दूसरे निस्फ़ मे जो अभी शुरू हुआ है हुकूमत की तरफ‌ से हालिया अर्से में किए गए चंद‌ इक़दामात के नतीजे मे मईशत में सुधार पैदा होगा और सरमाया कारों के एतिमाद को बहाल किया जा सकेगा ।

दूसरे आधे में सभी घरेलू पैदावार के आदाद-ओ-शुमार में भी बेहतरी का यक़ीन ज़ाहिर करते हुए मिस्टर मोनतेक सिंह ने कहा कि जारीया साल के पहले छह‌ माहिने मे जुमला घरेलू पैदावार 5.5 फीसद रही थी और वो समझते हैं कि दूसरे आधे में ये बेहतर होगी । होसकता है कि ये छह‌ फीसद तक पहूंच जाय ।

इसी उम्मीद रखने की काफ़ी वजूहात हैं क्योंकि हुकूमत की तरफ‌ से कई कदम उठाए हैं।हो सकता है कि उम्मीद कुछ बेहतर ही सूरत-ए-हाल होया फिर इस में कुछ कमी भी होसकती है । उन्हों ने कहा कि अगसट में सनअती पैदावार में भी बेहतरी दर्ज की गई थी इस के अलावा जो हालिया मआशी सर्वे किए गए हैं इन से भी हौसलाअफ़्ज़ा उम्मीदें जुड़े हुए हैं उसे मे ये इशारे मिला हैं कि जुमला घरेलू पैदावार मे बेहतरी होगी और तरक़्क़ी की शरह ऊपर की सिम्त जाएगी ।

उन्हों ने कहा कि हुकूमत को सनअती पैदावार में हुई बेहतरी से उम्मीदें जुडि हुई हैं इस के अलावा मआशी सर्वे भी अच्छे रहे हैं। उन्हों ने कहा कि वो मौजूदा हालात की बुनियाद पर एसा कह रहे हैं। हुकूमत इस मामले मे एक बार फिर हरकत में आगई है । वो समझते हैं कि सनअती पैदावार मे जो मामूली बेहतरी आई है वो इस बात की अक्कास है कि जुमला मईशत की तरक़्क़ी मे सुस्त रवी को ख़तम‌ करलिया गया है ।

वो ये नहीं कहते कि मईशत में बेहतरी शुरू होचुकी है लेकिन हुकूमत ने अब तक जो कुछ भी किया है और जो पॉलीसी फैसले किए हैं उन के असर नज़र आने में क़दरे ताख़ीर में सुस्ती रवी के बाइस सनअती पैदावार भी तुम्ह सर हुई थी और इस का जुमला मईशत पर भी असर हुआ था ।

पॉलीसी फैसलों में ताख़ीर केलिए हलीफ़ों के दबाव को जुज़वी तौर(आंशिक रूप) पर ज़िम्मेदार क़रार देते हुए मिस्टर अहलुवालिया ने कहा कि हम ने इस्लाहात के फैसले करने मे कुछ वक़्त लिया है क्योंकि इस सिलसिले में हलीफ़ जमातों का दबाव था । इन फैसलों से पहले मुशावरती अमल पूरा करना था ।

उन्हों ने कहा कि हिंदूस्तानी मईशत का इन्हितात आलमी सतह पर मआशी इन्हितात का नतीजा नहीं था । हमारा मानना ​​यह है कि ये सुस्त रवी बेन इलाक़ो अमीत उमूर का नतीजा नहीं थी । हमारा ख़्याल ये है कि अंदरून-ए-मुल्क कई घरेलू पहलू के लिए जिम्मेदार हैं उनमें तरीखाकार में ताख़ीर और अमल आवरी के मसाइल वगैरह शामिल हैं।

ये बताते हुए कि पिछ्ले कई माहिनो से जारी मआशी सुस्त रवी को रोक लिया गया है मिस्टर अहलुवालिया ने कहा कि अभी ये कहना क़बल अज़ वक़्त होगा कि मईशत की हालत बदल चुकी है । हालाँकि हुकूमत की तरफ‌ से सरमायाकारों के भरोसे को बहाल करने केलिए कई अदक़ामात किए गए हैं।

उन्हों ने कहा कि सुस्त रवी को रोक लिया गया है लेकिन अभी मईशत को सुधार का रास्ता इख़तियार करने में कुछ वक़्त लगेगा । महँगाई में मामूली इज़ाफे के ताल्लुक़ से इज़हार ख़्याल करते हुए उन्हों ने कहा कि हालाँकि ये शरह पिछ्ले साल की बनिसबत(तुलना ) थोड़े बेहतर है लेकिन ये अभी भी इत्मीनान बख़श सतह पर नहीं कही जा सकती । इस में मज़ीद कमी लाए जाने की ज़रूरत है ।