नई दिल्ली 19 जुलाई (पी टी आई) ये एतराफ़ करते हुए कि मईशत मुश्किल दौर से गुज़र रही है, वज़ीर-ए-आज़म मनमोहन सिंह ने आज तय्याक़ुन दिया कि हुकूमत कोई दक़ीक़ा उठा ना रखेगी ताकि मईशत की बहाली को यक़ीनी बनाया जा सके। वज़ीर-ए-आज़म ने रुपये की क़दर में इन्हितात को बढ़ते हुए करंट एकाऊंट ख़सारा और आलमी अनासिर से मंसूब करते हुए उमीद ज़ाहिर की कि रुपये की क़दर में इन्हितात पर क़ाबू पाने के लिए आर बी आई के इक़दामात इमकानी दबाओ को दूर करदेंगे और सूरत-ए-हाल बरअक्स होजाएगी।
उन्होंने शोबा सनअत को तय्याक़ुन दिया कि हुकूमत सरगर्म किरदार अदा करेगी और मुम्किना हद तक अक़ल्ल तरीन दख़ल अंदाज़ी की जाएगी। सूरत-ए-हाल अबतर होजाए तो हुकूमत की ये ज़िम्मेदारी है कि वो सरगर्म होजाए। उन्होंने कहा कि ग़ैरमुल्की ज़र-ए-मुबादला बाज़ारों में तग़य्युर पज़ीरी फ़ौरी तौर पर परेशानी की वजह है, जिसकी बुनियादी वजह आलमी बाज़ारों में अमरीकी मर्कज़ी ज़ख़ाइर को वापिस लेना है।
उन्हों ने कहा कि उभरते हुए बाज़ारों से भारी मिक़दार में फंड्स वापिस ले लिए गए हैं जिसकी वजह से रुपये की क़दर में नुमायां इन्हितात पैदा हुआ है। उन्होंने कहा कि करंट एकाऊंट ख़सारा पर क़ाबू पाकर तल्ब और रसद दोनों के मसले की यकसूई की जा सकती है।खासतौर पर सोने और पेट्रोलीयम मसनूआत की तल्ब पर क़ाबू पाना ज़रूरी है।
सोने की दरआमद में पहले ही कमी होचुकी है और पेट्रोलीयम के शोबे में रुपये की क़दर में इन्हितात की वजह से बड़ी हद तक एतिदाल का रवैय्या पैदा होगया है।बहाली बरक़रार रखने के लिए हुकूमत अपनी पालिसी में तबदीलीयां कररही है ताकि बढ़ती हुई क़ीमतों पर क़ाबू पाया जा सके।
रिज़र्व बैंक आफ़ इंडिया के रुपये के इन्हितात पर क़ाबू पाने के लिए ताज़ा तरीन इक़दामात का ज़िक्र करते हुए उन्होंने कहा कि इस से तवील मुद्दती सूद की शरहों में इज़ाफ़ा का इशारा नहीं मिलता। ये इक़दामात इमकानी दबाओ पर क़ाबू पाने के मक़सद से किए गए हैं जो करंसी की क़दर में इन्हितात की वजह से पैदा हुआ है।
उन्होंने कहा कि योरोपी यूनीयन के साथ आज़ादाना तिजारत मुआहिदा तकमील के मरहले में है और उमीद है कि अपनी मसह बिकती सलाहीयत में इज़ाफ़ा करके शोबा सनअत इस मौक़े से इस्तिफ़ादा करेगा।
वज़ीर-ए-आज़म ने कहा कि करंट एकाऊंट ख़सारा पर क़ाबू पाने के लिए हुकूमत और आर बी आई पालिसी के तमाम ज़राए से इस्तिफ़ादा करेगी। मईशत के बारे में मनमोहन सिंह ने कहा कि एक साल मआशी एतबार से बुरा साबित हुआ है लेकिन उन्हों ने तय्याक़ुन दिया कि हिन्दुस्तान इस सूरत-ए-हाल पर जल्द ही क़ाबू पालेगा।
उन्होंने कहा कि मौजूदा माली साल में जी डी पी का 4.8 फ़ीसद शरह तरक़्क़ी का निशाना हासिल करना मुश्किल है।उसकी कोशिश की जाएगी। इनफ्रास्ट्रक्चर को बेहतर बनाने के इक़दामात किए गए हैं। उन्होंने इस्लाही इक़दामात की तफ़सीलात का भी इन्किशाफ़ किया और इस से माली साल के निस्फ़ आख़िर में मुरत्तिब होने वाले असरात का तज़किरा किया।