बी जे पी के सीनियर लीडर यशवंत सिन्हा ने रुपये की कीमत, तरक़्क़ी और रोज़गार को लेकर इतवार को वज़ीर-ए-ख़ज़ाना पी चिदम़्बरम के सामने 18 सवाल रखे और मईशत की बुनियाद कमज़ोर करने के लिए उन्हें ज़िम्मेदार ठहराया। दिल्ली में प्रेस कान्फ़्रेंस में सिन्हा ने चिदम़्बरम से पूछा कि क्या ये हक़ीक़त है कि यू पी ए हुकूमत के 10 साल के इक़तिदार के बाद मआशी तरक़्क़ी की शरह में एक बार फिर ज़बरदस्त कमी आई है।
मुसलसल सात हलक़ों में जी डी पी शरह तरक़्क़ी 5 फ़ीसद के नीचे रही। रवां माली साल की तीसरी सहि माही अक्तूबर-दिसंबर में जी डी पी की शरह 4.7 फ़ीसद थी। रोज़गार तख़लीक़ के मुआमले पर नेशनल सैंपल सर्वे अरगेनाजेशन (अन्य से सौ) के एक सर्वे का हवाला देते हुए सिन्हा ने कहा कि 1999-2000 से 2004-05 के दरमयान 6 करोड़ से ज़्यादा रोज़गार के मौक़े पैदा हुए जबकि 2004-05 से 2011-12 के दरमयान ये महज़ 1.5 करोड़ रहा । उन्होंने कहा कि यू पी ए की हुक्मरानी के इबतिदाई चार साल के दौरान बुलंद शरह तरक़्क़ी की वजह एन डी ए हुकूमत के वक़्त किए गए इक़दामात थे।