मक्का के जेल से रिहा होकर लौटे 22 नौजवानों को जदयू ने नवाजा

मक्का (सऊदी अरब) के जेल से छूटे 22 बिहारियों को जदयू दफ्तर में एजाज़ किया गया। रियासती सदर वशिष्ठ नारायण सिंह ने तमाम नौजवानों को नवाजा गया । इनकी रिहाई 17 जुलाई को हुई थी और ये 18 जुलाई को वतन लौटे।

एमपी अली अनवर ने कहा कि ये तमाम मजदूर मक्का की नेसमा एंड पार्टनर्स कंपनी में काम करते थे। ड्यूटी के वक़्त ही करेंट लगने से सीवान के हारून रसीद की मौत 12 जून, 2013 को हो गयी थी। कंपनी ने बिना पोस्टमार्टम के उसका लाश वहीं दफन करना चाहा, लेकिन मजदूरों ने उसका मुखालिफत किया और लाश को भारत भेजने पर अड़ गये। साथ ही उन्हें मुआवजा देने की मुताल्बा को लेकर नारेबाजी भी की। इसके बाद कंपनी ने तोड़फोड़ का झूठा मुकदमा दर्ज करा कर मजदूरों को जेल में बंद कर दिया।

जेल में इनका ट्रायल हुआ और दो से पांच महीने की सजा मिली, लेकिन, उसके बाद भी रिहाई नहीं हो रही थी। एमपी ने कहा कि इसके बाद उस वक़्त के वजीरे खारज़ा सलमान खुर्शीद से भी मिले, लेकिन काम नहीं बना। मौजूदा वजीरे खारज़ा सुषमा स्वराज ने पहल की और बिहार के 22 मजदूरों के साथ पांच दीगर रियासतों के कुल 39 मजदूरों की रिहाई हो सकी। जदयू एमपी ने रियासती सदर को मुताल्बा खत भी सौंपा, जिसमें इन मजदूरों के सामान, बकाया रकम और मुआवजा और रियासत में रोजगार की मुताल्बा की है। इस पर जदयू रियासती सदर वशिष्ठ नारायण सिंह ने हुकूमत और पार्टी की तरफ से हर मुमकिन मदद का भरोसा दिलाया है। तकरीब में जदयू के रियासती जेनरल सेक्रेटरी रवींद्र सिंह, डॉ नवीन कुमार आर्य, जितेंद्र कुमार मौजूद थे।