मक्का मस्जिद और शाही मस्जिद के अख़्राजात के लिए हुसूल बजट में दुश्वारियां

हुकूमत की जानिब से तारीख़ी मक्का मस्जिद और शाही मस्जिद के मुलाज़मीन की तनख़्वाहें और इंतेज़ामी उमूर से मुताल्लिक़ ख़र्च को बजट में शामिल ना करने के सबब महकमा अक़लीयती बहबूद को महकमा फ़ाइनेन्स से बजट के हुसूल में दुश्वारीयों का सामना है।

बताया जाता है कि जारीया साल बजट में हुकूमत ने मन्सूबाजाती और ग़ैर मन्सूबाजाती मसारिफ़ में मक्का मस्जिद और शाही मस्जिद के अख़्राजात को शामिल नहीं किया जिसके सबब मुलाज़मीन को कई माह तक तनख़्वाहों से महरूम रहना पड़ा।

डायरेक्टर अक़लीयती बहबूद मुहम्मद जलाल उद्दीन अकबर ने दोनों मसाजिद के मुलाज़मीन की तनख़्वाहें और दीगर इंतेज़ामी उमूर की तकमील के लिए महकमा फ़ाइनेन्स को 2 करोड़ 85 लाख की इजराई के लिए तजावीज़ रवाना की हैं।

दोनों मसाजिद के मुलाज़मीन की तादाद 30 है जिनकी तनख़्वाहों पर माहाना एक लाख 77 हज़ार 520 रुपये का ख़र्च आता है। इस तरह सालाना ख़र्च 21 लाख 30 हज़ार 240 रुपये होगा।

महकमा अक़लीयती बहबूद की जानिब से हुकूमत को मख़लुवा जायदादों बाशमोल ख़तीब के ओहदा पर तक़र्रुर के इलावा मुलाज़मीन की तनख़्वाहों में इज़ाफ़ा की तजवीज़ रवाना की गई हैं।