हुकूमत की जानिब से मक्का मस्जिद और शाही मस्जिद के मुलाज़मीन की तनख़्वाहों की इजराई से मुताल्लिक़ अहकामात के बावजूद महकमा अक़लीयती बहबूद बजट की इजराई में नाकाम साबित हुआ है।
एक तरफ़ मक्का मस्जिद और शाही मस्जिद के मुलाज़मीन सितंबर की तनख़्वाह से महरूम हैं जबकि मक्का मस्जिद में सिक्यूरिटी ख़िदमात अंजाम देने वाले होम गार्ड्स को दो माह की तनख़्वाह अदा नहीं की गई।
इसी तरह शाही मस्जिद का एक सिक्यूरिटी मुलाज़िम गुज़िश्ता 18 माह से तनख़्वाह से महरूम है। जारीया साल बजट में दोनों मसाजिद के मुलाज़मीन की तनख़्वाहों के लिए अलाहिदा रक़म की मंज़ूरी ना होने के सबब महकमा को दुशवारीयों का सामना करना पड़ा।
डिप्टी चीफ़ मिनिस्टर मुहम्मद महमूद अली ने इस सिलसिला में सियासत में शाय शूदा रिपोर्ट्स के बाद अक़लीयती बहबूद के आला ओहदेदारों को हिदायत दी थी कि वो मुलाज़मीन की तनख़्वाहों की फ़ीलफ़ौर इजराई को यक़ीनी बनाएँ और ज़रूरत पड़ने पर दूसरे मद से रक़म हासिल करते हुए तनख़्वाहें अदा की जाएं।
हुकूमत ने 3 अक्टूबर को दोनों मसाजिद के लिए एक करोड़ रुपये का बजट जारी किया लेकिन 25 दिन गुज़रने के बावजूद आज तक ये रक़म अक़लीयती बहबूद के अकाउंट में नहीं पहुंची जिसके बाइस दोनों मसाजिद के मुलाज़मीन में मायूसी पाई जाती है।