दुनिया की ख़ूबसूरत वसीअ और अरीज़ मसाजिद में हमारे शहर हैदराबाद की तारीख़ी मक्का मस्जिद का शुमार होता है। 23696 मुरब्बा गज़अराज़ी पर मुहीत अज़ीमुश्शान मस्जिद सारे हिंदुस्तान में हैदराबाद की शान उस की आन और वक़ार और अज़मत की अलामत समझी जाती है। पांचवें क़ुतुब शाही हुक्मराँ मुहम्मद क़ुली क़ुतुब शाह ने बा नफ़्स नफ़ीस इस का संगे बुनियाद रखा था।
1618-1692, 75 साल के अर्सा में उस की तामीर मुकम्मल हुई। दिलचस्पी की बात ये हैकि मस्जिद की तामीर क़ुली क़ुतुब शाह ने शुरू करवाई। आप को ये जान कर हैरत होगी कि इस तारीख़ी मस्जिद की अराज़ी पर भी क़ब्ज़े किए गए हैं और उन क़ब्ज़ों के लिए कोई ग़ैर ज़िम्मेदार नहीं बल्कि ख़ुद मुसलमान हैं।
मक्का मस्जिद के नक़्शा का बग़ौर जायज़ा लिया जाए तो मस्जिद के मुख़्तलिफ़ हिस्सों, दरवाज़ों, हम्माम, वुज़ू ख़ानों, ख़ानक़ाह, हौज़ और कमानों के इलावा शाही गुसुलखाना की निशानदेही की गई। चुनांचे मस्जिद के मुख़्तलिफ़ हिस्सों का तफ़सीली मुआइना पर मक्का मस्जिद के मुदर्रसा से मुत्तसिल एक कोने में गुसुलखाना मौजूद है लेकिन बंद पड़ा है।
तक़रीबन 150 मुरब्बा गज़ अराज़ी पर मुहीत इस गुसुलखाना के बीचों बीच एक संगी प्लेटफार्म है जिस पर मय्यत को रखा जाता था। ज़राए का कहना हैकि इस गुसुलखाना को आख़िरी मर्तबा निज़ाम हश्तुम नवाब मीर महबूब अली ख़ान सिद्दीक़ी की मय्यत को ग़ुसल देने के लिए इस्तेमाल किया गया था। उन का 45 साल की उम्र में 29 अगस्त 1911 को इंतिक़ाल हुआ था।
नवाब मीर महबूब अली ख़ान सिद्दीक़ी की पैदाइश साल 1866 माह अगस्त (7 अगस्त) को हुई थी और माह अगस्त में ही उन्हों ने इस दारे फ़ानी से कूच फ़रमाया। तहक़ीक़ात पर ये भी मालूम होगा कि मक्का मस्जिद के तहत जो जायदादें वक़्फ़ की गईं हैं वो कहाँ कहाँ और किस के क़ब्ज़े में हैं।
महकमा अक़लीयती बहबूद और वक़्फ़ को चाहीए कि महकमा आर्कीओज़ के नक़्शा के मुताबिक़ तहक़ीक़ात करे। बहरहाल मस्जिद की अराज़ी पर क़ब्ज़ा करते हुए चंद मुफ़ादात हासिला अपनी दुनिया और आख़िरत दोनों तबाह कर रहे हैं। abuaimalazad@gmail.com