मक्का मस्जिद के सेहन में मौजूद क़दीम धूप घड़ी से बेशतर लोग नावाक़िफ़

हैदराबाद 2 मई : तारीख़ी मक्का मस्जिद के बारे में अगर किसी से सवाल किया जाएगा तो हर कोई यही जवाब देगा कि इस मस्जिद का शुमार ना सिर्फ़ हिंदुस्तान बल्कि दुनिया की चंद एक मुनफ़रद नोईयत की मसाजिद में होता है । ये मस्जिद हिंदुस्तान में मुस्लिम हुकमरानों के ज़ौक़ तामीर की नादिर और नायाब मिसाल है।

मक्का मस्जिद हिंदुस्तान की शान और वक़ार में इज़ाफ़ा का बाइस बनी हुई है और इस ख़ूबसूरत मस्जिद को देख कर माहिरीन तामीरात भी हैरान रह जाते हैं वगैरह वगैरह ।

ये तो मस्जिद के बारे में आम जवाबात हैं लेकिन मक्का मस्जिद के बारे में कई ऐसी हक़ीक़तें जुड़ी हुई हैं जिस के बारे में शायद बहुत कम लोगों को इल्म होगा । क़ारईन ! आज हम आप को मक्का मस्जिद से जुड़ी हुई तीन अहम चीज़ों के बारे में वाक़िफ़ करवाते हैं हमें यक़ीन है कि आप इन तीन इन्किशाफ़ात पर हैरान रह जाएंगे और अपने आप से कहने लगेंगे कि हक़ीक़त में हम ने मक्का मस्जिद को अच्छी तरह से देखा ही नहीं है।

क्या आप जानते हैं कि मक्का मस्जिद में दुनिया की क़दीम तरीन धूप घड़ी मौजूद है ? क्या आप को मालूम है कि मक्का मस्जिद की छत पर कबूतरों के बसेरे के लिए तीन हज़ार ख़ूबसूरत ख़ाने तामीर करवाए गए थे ?।

और क्या आप इस बादशाह का नाम बता सकते हैं जिन्हों ने कबूतरों को मस्जिद के अंदरूनी हिस्सा में जाने से रोकने के लिए 5 कमानों में आहनी जालियां नस्ब करवाईं थीं ? हमें उम्मीद है कि इन सवालात के जवाबात अक्सर लोगों के पास नहीं होंगे।

लेकिन अपने इस्लाफ़ की तारीख से नई नस्ल को वाक़िफ़ करवाना सब की ज़िम्मेदारी है इस लिए हम आप को सब से पहले मक्का मस्जिद की धूप घड़ी के बारे में बताते हैं।

शहनशाह आलमगीर औरंगज़ेब के दौर में ये घड़ी मस्जिद के सेहन में रखी गई ताकि नमाज़ों के औक़ात तलूअ और ग़ुरूब ऑफ़ ताब की घड़ियां दरयाफ्त की जा सकीं।

क़ारईन ! आप को बतादें कि हम ने मक्का मस्जिद के बारे में वाक़िफ़ करवाने का फैसला इस लिए क्या क्यों कि एक सयासी क़ाइद के दौरा के मौक़ा पर हम ने देखा कि बैरून रियासत के सैयाह एक मुक़ामी शख़्स से मक्का मस्जिद और चारमीनार के बारे में दरयाफ्त कर रहे थे।

इस मुक़ामी शख़्स ने उन लोगों को बताया कि मक्का मस्जिद और चारमीनार हुज़ूर निज़ाम ने तामीर करवाया । उस की इस ग़लत मालूमात पर हमें हैरत हुई और तब ही फैसला किया कि शहर की तारीख़ी इमारतों के बारे में अवाम को वाक़िफ़ करवाना ज़रूरी है।