सात साल के तवील अर्सा के बाद मक्का मस्जिद बम धमाके केस की समाअत का आग़ाज़ नामपली क्रीमिनल कोर्ट में हुआ जिस में दो गवाहों के बयानात कलमबंद किए गए।
फ़रस्ट ऐडीशनल मेट्रो पोलेटेन सेशन जज जो नेशनल इन्वेस्टीगेशन एजेंसी केसिस के लिए ख़ुसूसी कोर्ट भी है दो गवाह साबिक़ हैड कांस्टेबल हुसैनी अलम पुलिस स्टेशन मिर्ज़ा अबदुल्लाह बैग और मक्का मस्जिद के मैनेजर मुहम्मद मन्नान ने कोर्ट में गवाही दी।
18 मई साल 2007 में पेश आए ताक़तवर बम धमाका में मस्जिद में 8 मसलियान जांबाहक़ होगए थे और इस वाक़िया से मुताल्लिक़ मैनेजर मक्का मस्जिद और साबिक़ हैड कांस्टेबल में इस सिलसिले में बयान कलमबंद करवाया और उस वक़्त के हालात से अदालत को वाक़िफ़ करवाया।
वकील दिफ़ा राज वर्धन रेड्डी ने दोनों गवाहों पर जरह किया और उन्हें बम की दस्तयाबी और दुसरे अशीया की बरामदगी से मुताल्लिक़ सवालात किए।
वकील दिफ़ा ने अदालत को ये वाक़िफ़ करवाया कि तहक़ीक़ाती एजेंसी ने हुसैनी अलम पुलिस की तरफ से रिकार्ड करदा गवाहों के बयानात को अदालत में पेश नहीं किया।
वकील दिफ़ा ने शाम तक गवाहों पर जरह किया और बम धमाका के वाक़िये से मुताल्लिक़ कई सवालात किए। केस की समाअत रोज़ाना की जाएगी और मज़ीद तीन गवाहों के बयानात कलमबंद किए जाऐंगे।
वाज़िह रहे कि एन आई ए ने मक्का मस्जिद बम धमाके केस में मुबय्यना तौर पर शामिल् मुल्ज़िमीन स्वामी असीमानंद ,भारत भाई, राजिंदर चौधरी, देवेंद्र गुप्ता और लोकेश शर्मा को गिरफ़्तार किया था और उनके ख़िलाफ़ छः चार्ज शीट्स दाख़िल की गई थी। जबकि तीन मुल्ज़िमीन हनूज़ मफ़रूर हैं। इस केस में जुमला 74 गवाह हैं और उन्हें वक़फे वक़फे से अदालत में पेश करेगा।