आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट ने आज एक ग़ैरमामूली इक़दाम करते हुए मक्का मस्जिद बम धमाके में मुबयना तौर पर माख़ूज़ किए गए बेक़सूर मुस्लिम नौजवानों को हुकूमत की तरफ से मुआवज़ा की अदायगी पर अपने साबिक़ा फ़ैसले को वापिस ले लिया है।
चीफ़ जस्टिस, जस्टिस कल्याण ज्योति सेन गुप्ता और जस्टिस के सी भानू पर मुश्तमिल डीवीझ़न बेंच ने आज अदालत में अपने तौर पर ये फ़ैसला सुनाया।
डीवीझ़न बेंच ने फ़ैसला किया कि दो हफ़्ते बाद इस मुक़द्दमा की अज़ सर-ए-नौ समाअत का आग़ाज़ होगा। चीफ़ जस्टिस कल्याण कल्याण ज्योति सेन गुप्ता ने आज अदालत में अपने तौर पर तबदील शूदा फ़ैसला पढ़ कर सुनाया।
उन्होंने कहा कि इस मुआमले के तमाम फ़रीक़ैन की समाअत के बगै़र ही अदालत ने फ़ैसला सुनाया था लिहाज़ा अब वो अपने फ़ैसले पर नज़रसानी कररही है।
उन्होंने अपने साबिक़ा फ़ैसले पर अमल आवरी पर रोक लगाने की हिदायत दी जिस के तहत मुस्लिम नौजवानों को दिए गए मुआवज़ा की रक़म वापिस लेने का हुकूमत को हुक्म दिया गया था।
चीफ़ जस्टिस ने कहा कि उन्होंने पहला फ़ैसला ज़बानी तौर पर तहरीर किराया था और जब उन्होंने फ़ैसले को पढ़ा इस में अंदाज़ा हुआ कि तमाम फ़रीक़ैन की समाअत नहीं हुई है।
जिन 16नौजवानों को हुकूमत की तरफ से मुआवज़ा अदा किया गया उनके मौक़िफ़ की समाअत नहीं की गई। चीफ़ जस्टिस ने कहा कि दरख़ास्त गुज़ार ने इन नौजवानों को मुक़द्दमा में फ़रीक़ नहीं बनाया और ना ही इन नौजवानों को नोटिसें जारी की गईं।
लिहाज़ा यकतरफ़ा तौर पर फ़ैसला सुना दिया गया जो कि मुनासिब नहीं है। चीफ़ जस्टिस ने सुप्रीम कोर्ट की रोलिंग का हवाला दिया जिस में कहा गया हैके अगर अदालत के किसी फ़ैसले के बाद कुछ एसी बातें मंज़रे आम पर आएं जिस से ये अंदाज़ा हो कि फ़रीक़ सानी के साथ नाइंसाफ़ी हुई है तो अदालत इस फ़ैसले को वापिस ले सकती है।
सुप्रीम कोर्ट की इस रोलिंग को पेशे नज़र रखते हुए हम भी अपने 16 सितंबर के फ़ैसले को वापिस लेते हैं। उन्होंने मुआवज़ा हासिल करने वाले तमाम नौजवानों को नोटिसें जारी करने की हिदायत दी और मुक़द्दमा की आइन्दा समाअत दो हफ़्तों बाद मुक़र्रर की है।
उन्होंने क़तई फ़ैसला तक अहकामात पर अमल आवरी पर भी रोक लगादी। वाज़िह रहे कि एस वेंकटेश गौड़ नामी शख़्स की दरख़ास्त पर चीफ़ जस्टिस कल्याण ज्योति सेन गुप्ता और जस्टिस के सी भानू पर मुश्तमिल डीवीझ़न बंच ने मक्का मस्जिद बम धमाके में बेक़सूर पाए गए नौजवानों को मुआवज़ा की अदायगी को गै़रक़ानूनी क़रार दिया था और हुकूमत को हिदायत दी थी कि वो इन नौजवानों से रक़म वापिस हासिल करे।