मक्का मस्जिद: हुक्काम की अदम तवज्जही का शिकार, बारिश से छत को नुक़्सान

ऐसे वक़्त जबकि तारीख़ी उस्मानिया हॉस्पिटल की इमारत की ख़स्ता हाली अवाम में मौज़ू बहस है हैदराबाद की तारीख़ी मक्का मस्जिद की इमारत भी हुक्काम की लापरवाही के सबब ख़स्ता हाली की सिम्त गामज़न है।

गुज़िश्ता एक साल से मस्जिद की छत की दरूस्तगी के काम पर कोई तवज्जा नहीं दी गई जिसके नतीजा में छत इस क़दर ख़स्ता हो चुकी है कि मामूली बारिश के साथ ही पानी छत और दीवारों से उतरने लगा है।

छत में बारिश का पानी दाख़िल होने के बाइस छत के बाअज़ हिस्से टूट कर गिर चुके हैं। हैरत तो इस बात पर है कि महकमा आर्क्योलोजीकल सर्वे ऑफ़ इंडिया के माहिरीन ने मस्जिद के मुआइना के बाद छत की फ़ौरी मुरम्मत की तजवीज़ पेश की लेकिन बजट की कमी का बहाना बनाकर ख़ामूशी अख़्तियार करली।

दूसरी तरफ़ रियास्ती हुकूमत भी गुज़िश्ता तीन माह से मस्जिद की छत और दीगर मरम्मती कामों के लिए बजट की इजराई में तसाहुल से काम ले रही है।

गुज़िश्ता दिनों बारिश के बाइस मक्का मस्जिद की छत से पानी दीवारों में उतरने लगा और अंदरूनी हिस्से में छत पर पानी के रिसने के सबब कुछ हिस्सा कमज़ोर हो कर मुनहदिम हो चुका है। इस के इलावा बाअज़ दीगर हिस्सों में भी बारिश का पानी उतरने की वाज़ेह अलामात दिखाई दे रही हैं।

बताया जाता है कि हुक्काम ने मस्जिद की छत की दरूस्तगी पर कभी भी तवज्जा नहीं दी जिसके बाइस ये सूरते हाल पैदा हुई। महकमा आसारे क़दीमा के माहिरीन ने तजवीज़ पेश की थी कि छत को नई टेक्नॉलोजी के ज़रीए वॉटर प्रूफ छत में तबदील किया जाए उस के लिए माहिरीन ने एक करोड़ 75 लाख रुपये के ख़र्च का तख़मीना बनाया और इस सिलसिले में हुकूमत को रिपोर्ट पेश की गई।

शहर के अवामी नुमाइंदों को भी दिलचस्पी लेकर बजट की इजराई के सिलसिले में हुकूमत पर दबाव बनाना चाहीए। अगर यही सूरते हाल रही तो फिर मस्जिद की छत मज़ीद बोसीदा हो सकती है।